आता विसाव्याचे क्षण माझे सोनियाचे मणी
श्री लता मंगेशकर जी की मधुर आवाज में गाया हुआ श्री सलिल कुलकर्णी जी द्वारा रचित गीत "आता विसाव्याचे क्षण" क्षणे अमृताचे से लिया गया है इसकी अवधि ५ मिनट १९ सेकंड है, इस गीत के बारे में बहुत से लोगो में भ्रान्ति थी की यह लता जी का अंतिम गाया हुआ गीत है, जबकि वास्तिविकता इससे अलग है, यह अल्बम २०१३ में आया था, इसके बाद भी लता जी ने बहुत से गीत गाये है, और वर्तमान में भी गायन में सक्रिय है।
बहुत से मित्र जब ये गीत सुनते है तो पूछते है की इस गाने की धुन और बोल बहुत अच्छे है, लेकिन इसका अर्थ क्या है, तो उन समस्त मित्रो की जिज्ञासा शांत करने के लिए हमने एक दिन बैठ कर इस मराठी गीत का हिंदी में अनुवाद किया जो की इस प्रकार से है, हम पहले मराठी के बोल लिख रहे है उसके बाद उसका हिंदी रूपांतरण उसी क्रम में :
सुखे ओवीत ओवीत, त्याची ओढतो स्मरणी ।।
काय सांगावे नवल, दूर रानीची पाखरे ।
ओल्या अंगणी नाचता, होती माझीच नातरे ।।
कधी होती डोळे ओले, मन माणसाची तळी ।
माझे पैलातले हंस, डोल घेती त्याच्या जळी ।।
कशी पांगल्या प्रेयसी, जुन्या विझवून चुली ।
आश्वासती येत्या जन्मी , होऊ तुमच्याच मुली ।।
मणी ओढता ओढता, होती त्याचीच आसवे ।
दूर असाल तिथे हो, नांदतो मी तुम्हांसवें ।।
लपेट के सुखाओ, उसकी खींचती हुई स्मृति ।।
आश्चर्य है कि क्या कहना है, रानी के पंख दूर ।
गीले आँगन में नाचना, वह मेरा बेटा था ।।
कभी आँखें गीली होती थीं, मनुष्य का तालाब ।
मेरा हंस हंस, डोले उसका जला लेते हैं ।।
कितना पागल प्यार करता था, पुराने को बुझा दो ।
आश्वासन देने के लिए पैदा हुआ, अपनी बेटी हो ।।
मणि खींचना, यह उसका था ।
तुम जहां भी हो, सदा मेरे ही रहोगे ।।
बहुत से मित्र जब ये गीत सुनते है तो पूछते है की इस गाने की धुन और बोल बहुत अच्छे है, लेकिन इसका अर्थ क्या है, तो उन समस्त मित्रो की जिज्ञासा शांत करने के लिए हमने एक दिन बैठ कर इस मराठी गीत का हिंदी में अनुवाद किया जो की इस प्रकार से है, हम पहले मराठी के बोल लिख रहे है उसके बाद उसका हिंदी रूपांतरण उसी क्रम में :
आता विसाव्याचे क्षण
आता विसाव्याचे क्षण, माझे सोनियाचे मणी ।सुखे ओवीत ओवीत, त्याची ओढतो स्मरणी ।।
काय सांगावे नवल, दूर रानीची पाखरे ।
ओल्या अंगणी नाचता, होती माझीच नातरे ।।
कधी होती डोळे ओले, मन माणसाची तळी ।
माझे पैलातले हंस, डोल घेती त्याच्या जळी ।।
कशी पांगल्या प्रेयसी, जुन्या विझवून चुली ।
आश्वासती येत्या जन्मी , होऊ तुमच्याच मुली ।।
मणी ओढता ओढता, होती त्याचीच आसवे ।
दूर असाल तिथे हो, नांदतो मी तुम्हांसवें ।।
आता विसाव्याचे क्षण का हिंदी अर्थ
अब आराम करने का क्षण, मेरी सोनिया मोतियों की ।लपेट के सुखाओ, उसकी खींचती हुई स्मृति ।।
आश्चर्य है कि क्या कहना है, रानी के पंख दूर ।
गीले आँगन में नाचना, वह मेरा बेटा था ।।
कभी आँखें गीली होती थीं, मनुष्य का तालाब ।
मेरा हंस हंस, डोले उसका जला लेते हैं ।।
कितना पागल प्यार करता था, पुराने को बुझा दो ।
आश्वासन देने के लिए पैदा हुआ, अपनी बेटी हो ।।
मणि खींचना, यह उसका था ।
तुम जहां भी हो, सदा मेरे ही रहोगे ।।
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