बिक गया मीडिया का इमान
समस्त भारत वासियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार :
कल मै समाचार सुन रहा था इक ख़बर ने मुजे भीतर तक हिला दिया, ख़बर थी मथुरा मे इक छोटी बच्ची को कुछ लोगो ने जलती आग मे फेका, ये निय्चय ही इक सामाजिक अपराध है और इस के दोषी लोगो को दंड मिले तह्भी जनता को देश की न्याय प्रनाडी पर विश्वास होगा, पर मुजे खेद इस बात का है की हमारी समाचार अजन्सियो ने इसे ऊँची जात वालो का नीची जात वालो पर अपराध बताया, क्या ये सही है, आज अत्याचार किस जाती के लोगो पर नही हो रहा है , पर किसी भी सामाजिक या न्यायिक अपराध को जातिगत अपराध की द्रिस्ती से देखना उचित नही है और फ़िर भारत जेसे देश मे जहा के रस्त्र्पति श्री के आर नारायनना स्ववं दलित जाती के थे, भारत के मुख्य नययधिएश् के जी बाल्क्रिश्नना , लोक सभा के इस्पिकर के ऍम सी बालयोगी और स्वयं मायावती दलित जाती की है फ़िर भी देश से दलित और गेर दलितों का भेद नही गया, इसका मुख्य कारन है हमारे देश की राजनीती, नेता लोगो का निजी स्वार्थ, नेता लोग ख़ुद नही चाहते किए दलितों और गेर दलितों के भीच का भेद खत्म हो और सब लोग मिल कर देश के विकाश के बरे मे सोचे, छोडो इन नेता लोगो किए फ़िर कभी ख़बर लेगे आज टू मीडिया की ख़बर लेते है, कल सभी समाचार चेनलो पर इक हेई ख़बर थी दलितों पर दवांगो का कहर, इक दलित की सरे आप हत्या किए कोशिश पर मेरी द्रिस्ती मे मिडिया का ये काम भारत के सम्बिधन किए सरेआम हत्या है, चोट है भारत के इकता और समता के अनुच्छेद पर आज मिडिया चिल्ला रहा है दलितों पर ठ्कुरो का कहर , मायावती के शाशन काल मे दलितों का उत्पेदीन , कल को दलित राजनेतिक सह पा कर गेर्दालितो पर हमला करेगे अत्ब यही मिडिया वाले बोलेगे दलितों के राज मे दलितों की मनमानी , और फ़िर होगा जाती युध्ह और इस प्रकार भारत के सम्बिधान की मूल आत्मा की हत्या और यही टू चाहती हे हमारी मिडिया की हर जगह दंगे हो मर काट हो बलात्कार हो चिंदी चिंदी हो जाए भारत की न्याय व्यवस्था क्योकि जब एषा होगा तभी टू उसे चटपटी ख़बर मिलेगी और वो उनको साबुन तेल के बिग्यपनो के साथ भुना सकेगे , बस ये कहकर की आप बने रहिये हमारे साथ हम अभी अआते हे इक छोटे से ब्रेक के बाद और ले चलते है आपको जहा पर मोजूद है हमरे सम्बद्दाता ....... जहा पर हो रहा है मौत का तांडव , और प्रश्न भी पूछेगे टू स्त्याल से जेसे टू सुधीर जी क्या हो रहा है अभी वहा पर , क्या जनता अपने नेतायो से नाराज है, क्यो नही पहुचा पुलिश का दल, क्या कर है डाक्टर क्या उस जाती के लोग कुछ नही कर रहे जिस पर ये जुल्म हुआ है आखिर उस जाती के लोगो की भवन्ये क्यो नही बदक रही है जिस पर ये जुल्म हुआ है, आज का मिडिया वो मिडिया नही जिसने अंग्रेजो को बाहर निकल दिया वल्कि ये देश्द्रोहियो का संगठित समुदाये है जो धीरे धीरे देश को और खोखला कर रहा है इस पर लगाम लगनी चईये और ख़ुद मिडिया को भी अपनी हेड पहचाननी चईये की कही उसकी खबर देश मे ग्रह युद्ध किए नींव टू नही रखने वाली है मेरा मानना हे की मिडिया की आँखे है, कान है पर उनका दिल और दीमक से सम्बन्ध नही है
सत्यमेव जयते
कल मै समाचार सुन रहा था इक ख़बर ने मुजे भीतर तक हिला दिया, ख़बर थी मथुरा मे इक छोटी बच्ची को कुछ लोगो ने जलती आग मे फेका, ये निय्चय ही इक सामाजिक अपराध है और इस के दोषी लोगो को दंड मिले तह्भी जनता को देश की न्याय प्रनाडी पर विश्वास होगा, पर मुजे खेद इस बात का है की हमारी समाचार अजन्सियो ने इसे ऊँची जात वालो का नीची जात वालो पर अपराध बताया, क्या ये सही है, आज अत्याचार किस जाती के लोगो पर नही हो रहा है , पर किसी भी सामाजिक या न्यायिक अपराध को जातिगत अपराध की द्रिस्ती से देखना उचित नही है और फ़िर भारत जेसे देश मे जहा के रस्त्र्पति श्री के आर नारायनना स्ववं दलित जाती के थे, भारत के मुख्य नययधिएश् के जी बाल्क्रिश्नना , लोक सभा के इस्पिकर के ऍम सी बालयोगी और स्वयं मायावती दलित जाती की है फ़िर भी देश से दलित और गेर दलितों का भेद नही गया, इसका मुख्य कारन है हमारे देश की राजनीती, नेता लोगो का निजी स्वार्थ, नेता लोग ख़ुद नही चाहते किए दलितों और गेर दलितों के भीच का भेद खत्म हो और सब लोग मिल कर देश के विकाश के बरे मे सोचे, छोडो इन नेता लोगो किए फ़िर कभी ख़बर लेगे आज टू मीडिया की ख़बर लेते है, कल सभी समाचार चेनलो पर इक हेई ख़बर थी दलितों पर दवांगो का कहर, इक दलित की सरे आप हत्या किए कोशिश पर मेरी द्रिस्ती मे मिडिया का ये काम भारत के सम्बिधन किए सरेआम हत्या है, चोट है भारत के इकता और समता के अनुच्छेद पर आज मिडिया चिल्ला रहा है दलितों पर ठ्कुरो का कहर , मायावती के शाशन काल मे दलितों का उत्पेदीन , कल को दलित राजनेतिक सह पा कर गेर्दालितो पर हमला करेगे अत्ब यही मिडिया वाले बोलेगे दलितों के राज मे दलितों की मनमानी , और फ़िर होगा जाती युध्ह और इस प्रकार भारत के सम्बिधान की मूल आत्मा की हत्या और यही टू चाहती हे हमारी मिडिया की हर जगह दंगे हो मर काट हो बलात्कार हो चिंदी चिंदी हो जाए भारत की न्याय व्यवस्था क्योकि जब एषा होगा तभी टू उसे चटपटी ख़बर मिलेगी और वो उनको साबुन तेल के बिग्यपनो के साथ भुना सकेगे , बस ये कहकर की आप बने रहिये हमारे साथ हम अभी अआते हे इक छोटे से ब्रेक के बाद और ले चलते है आपको जहा पर मोजूद है हमरे सम्बद्दाता ....... जहा पर हो रहा है मौत का तांडव , और प्रश्न भी पूछेगे टू स्त्याल से जेसे टू सुधीर जी क्या हो रहा है अभी वहा पर , क्या जनता अपने नेतायो से नाराज है, क्यो नही पहुचा पुलिश का दल, क्या कर है डाक्टर क्या उस जाती के लोग कुछ नही कर रहे जिस पर ये जुल्म हुआ है आखिर उस जाती के लोगो की भवन्ये क्यो नही बदक रही है जिस पर ये जुल्म हुआ है, आज का मिडिया वो मिडिया नही जिसने अंग्रेजो को बाहर निकल दिया वल्कि ये देश्द्रोहियो का संगठित समुदाये है जो धीरे धीरे देश को और खोखला कर रहा है इस पर लगाम लगनी चईये और ख़ुद मिडिया को भी अपनी हेड पहचाननी चईये की कही उसकी खबर देश मे ग्रह युद्ध किए नींव टू नही रखने वाली है मेरा मानना हे की मिडिया की आँखे है, कान है पर उनका दिल और दीमक से सम्बन्ध नही है
सत्यमेव जयते
Comments
Media ka Imaan Bik Gaya hai.
Keep writing sir.