थोट पोइस्निंग इन पुपिल
आज हर दस मै से आठ आदमी थोट पोइस्निंग के शिकार है क्योकि वे जिस माहोल मै है बस वाही तक उनकी सोच है अगर उनको उनके वातावरण से जरा सा भी हट कर कुछ मिलता है तो वे चिल्ला उठाते है वेसे भी मन स्वाभाव से परिवर्तन का विरोधी है और ये थोट पोइस्निंग इस आगh मै घी का काम करता है इसको इक उध्राहर्ण से बताता हु , आप सभी फोज के जवानो से भली प्रकार से परिचित होगे , उनकी नजर मनुष्य को नियंत्रित कराने की दो ही तरीके है सजा और नियम , बेथ कर चर्चा करना उनको पता ही नही है, जब तक ये लोग अपने समुदाये मै है श्रेष्ठ है पर जब हम असेनिक लोगो के बीच आ जाते है तो इनका वाही श्रेष्ठ होना हमारे लिए मुश्किल का कारन बन जाता है यही थोट पोइस्निंग है की वे स्वयं को नए माहोल मै न ढल कर अपने पुराने विचारो को ही अधर बना कर आगे का रास्ता तय करना चाहते है ये लोग कभी सफल बी हो जाते है पर स्वयं को नए माहोल न ढलने वाले ये लोग बाकी लोगो का जीना मुश्किल कर सकते है अगर उच्च पड़ पर है और स्वयं को नुकशान भी पंहुचा सकते है यदि निम्न पदपर है इसलिए मेरा तो मानना है की हमें थोट पोइस्निंग से हमेशा बचना चाहिए और हमेस नए विचारो को सुनना और श्म्झाना चाहिए और यदि हो सके तो उन पर चलना भी चाहिए क्योकि नए विचारो का जन्म डाटा आपके पुराने विचार ही है और बाद मै आविष्कार की गई चीज पुरानी चीज से श्रेष्ठ ही होगी वेरना वो आती ही क्यो थोट पोइस्निंग से बचे और नए विचारो का आदर करे जय हिंद
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