जातिगत अरक्छ्न्न और वो भी आज़ादी के ६३ साल बाद

हमारे देश को आज़ाद हुए पुरे ६३ साल हो गए है, सम्भीधन के निर्माण के समय कुछ विद्वान राजनेताओ ने सोचा की कुछ जातीय देश मे ऐसी है जो रास्त्र की मुख्या धरा मे सामिल नहीं है तो उन जातीय के लिए सम्भीधन मे १० वर्सो के लिए आराक्छ्न्न लागु किया पर उन को क्या पता था की उनके बाद के राजनेता इस को ही राजनीती का अधर बना लेगे , आज अरक्छ्न्न मे जातीय और लोगो की संख्या कम हों के बजाये दिन बा दिन बाद रही है आज वो मनुष्य ८३ साल का हो गया है जिसे आजदी के समय २० साल का होने के कारन आरक्छन मिला था और जो पैदा हुआ था वो ६३ साल का तीन पीडिया बीत गए पर आरक्छन पाने वालो के संख्या कम नहीं हो रही है वाल्की दिन व दिन बढ रही है क्युकी सरकारी नौकरी पाने का इससे आशन तरीका और कोई है ही नहीं, इसलिए राजस्थान के लोग पिछड़े की श्रेणी है अनु शुचित जन जाती नै जाना चाहते है और सरकारी संपत्ति का नुकशान करते है और सर्कार उनको अरकछ्न्न दे ने को vivash हो जाती है , yahaa पर do bate sochne की है (१) लोग समय के sath age badhte के लिए sangharsh करते है और ye apne को और pichhne bhejane के लिए sangharsh kar rahe है (२) jin logog आज देश की संपत्ति se कोई lagav नहीं है वो नौकरी पाने के बाद देश का क्या bhala karege , khair ye तो beech मे aa gayaa था तो yahaa पर bataya है hamara mool muddha है आज क्या jarurat है आराक्छ्न्न की वो भी jati gat , सम्भीधन kahta है है की rajya janma sthan, ling avam जाती के अधर पर bhedbhav na kare और जातिगत आराक्छ्न्न , jammu kashmeer मे na vashne का adhikar इस धरा का ullghan नहीं तो और क्या है, ye bilkul vaise ही है jaise kisi santha मे १२० लोग हो uska ek सम्भीधन हो की कोई भी faishla lene se pahle १२० लोगो की rai lee jayegee पर santhaa के malika को कोई faishla lene का ya badlne का abhikar है और वो har baar yahee kar के १२० लोगो के muh पर juta maar deta है।
आज kabhee kabhee lagta है की इस आज़ादी है unchee जाती के लोगो मिला ही क्या है, जो jameen और izzat thee वो भी chalee gayee

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