आरक्छन : एक बिल पास और भारत से सदा के लिए ख़तम

भारत देश १९४७ मई आज़ाद हुआ और संबिधान मे कुछ पिछड़ी जातियो के लिए १० साल के लिए आरक्छन मंजूर हुआ , क्युकी वे सामाजिक रूप से काफी पीछे थी पर आज ६० साल बाद भी वे वही है और आज उस समय की ठीक स्तिथी वाली जातीय भी इसकी मांग कर रही है, है न कमाल की बात की देश के लोग समय के साथ आगे जाने के बजाये पीछे जा रहे है , और हमारे नेता लोग इस की पुरी पुरी वकालत कर रहे है , सिर्फ वोट के खातिर , सही मायने मे देखा जाये तो देश के किसी भी व्यक्ति को आरक्छन की जरुरत नहीं है अगर उसमे जरा भी स्वाभीमान है आज संसद मे एक बिल पास हो जाये की अगर कोई नेता बीमार पड़े तो उसका इलाज सरकारी अस्पताल मे किसी ऐसे डॉक्टर से कराया जायेगा जो आरक्छन से डाक्टरी पास कर के आया है नेता लोगो को इनकी क़ाबलियत पता चल जायेगी पर हमारे देश वासियों का दुर्भाग्य है की उनके हिस्से मे प्रतिभा हीन डाक्टर आते है और जो नेता लोग आरक्छन की वकालत करते है वो अपना इलाज करवाने के लिए या तो विदेश चले जाते है विदेश से डाक्टर बुला कर यही किसी बड़े प्राइवेट अस्पताल मे इलाज करा लेते है जय हिंद

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