आओ मिलकर दिया जलाये
पूरे देश में केसी निराशा
मानव कुछ बुराई से हारा
बुझी हुयी आशा को जगाये
आओ मिल कर दिया जलाये
हम पड़ाव को समझे मंजिल
लक्ष्य किया आँखों से ओझल
भूतकाल में शोक में पड़कर
आने वाला कल न गवाए
आओ मिल कर दिया जलाये
कुछ था सोचा कुछ क्यों पाया
चाहा सार मिली बस छाया
चुने हुयी लोगो के बल पर
अपना देश न आप डुबाये
आओ मिल कर दिया जलाये
कोंन है शत्रू कोन है साथी
ऐसे केसे जाने हम
सत्रु मित्र के फेर से बचकर
मानवता का धर्मं निभाए
आओ मिलकर दिया जलाये
कविता का प्रेरणा स्रोत .. श्री अटल विहारी बाजपेयी जी
Comments
Loved It Sir....
लक्ष्य किया आँखों से ओझल.. specially this line sir