अपने शहर में भी कोई हम सा नहीं रहता

वैसे तो सरकार चाहे कांग्रेस की हो या अंग्रेज के उनकी नीतियों के खिलफ कुछ भी बोलना एक खतरा ही है ..पर भारतीय संबिधान हमें कुछ सीमायों तक अपने विचार व्यक्त करने की आजादी देती है ..अगर ये न होती तो शायद में कुछ भी न बोलता ..आज से करीब ३२-३३ साल पहले एक फिल्म आयी थी कर्ज ..अपने चिंटू जी यानी रिसी कपूर और टीना मुनीम की ..इस में एक गाना था ' तू कितने बरस की ..तू कितने बरस का ....में सोलह बरस की ,,तो में सत्रह बरस का..मिल न जाये नैना ...एक दो बरस जरा दूर रहना ...कुछ हो गया तो फिर न कहना ' शायद इस गीत के लेखक को उस समय ये पता भी न होगा की जिस का डर १९८० की युवा पीढी को है उस डर को २०१३ में सरकार कानूनी मान्यता दे देगा पर शादी और वोट देने की उम्र १८/२१ साल ही रहेगी ...वाकई में हम  काफी निडर हो रहे है ...और साथ ही पिछड़ भी रहे है ...१६ बरस में सहमती से शारीरिक सम्बन्ध बनाये जा सकते है पर कोई लड़का किसी लड़की को घूरेगा नहीं, पीछा नहीं करेगा अगर ये करेगा तो गैर ज़मानती वारंट है ....ये तो वही बात हो गयी की फ्रेशर को जॉब नहीं मिलेगी और बिना जाब मिले अनुभव कहा से होगा ...अब एक लड़का एक लड़की को देखेगा नहीं ..उसके घर तक नहीं जायेगा तो जान पहचान केसे होगी ..सरकार को इस बारे में भी सोचना चाहिए .....आप भी सोचिये ...कुछ पुरानी फिल्मे देखिये शायद कोई नुस्का मिल जाये ...

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