एक बार तो सोचिये : क्या हम जो कर रहे है वो सही है?

भारत कितना महान देश है , जहा पर कई सेनिको और पोलिस बालो की हत्या करने वाले अतंकवादियो की वकालत राजनीतिक दल करते है , देश की अदालतों में मुक़दमा चलता है उनको वकील मिलते है, पर लोग सडको पर नहीं उतरते है ? उनकी फासी की मांग नहीं करते है ? मीडिया भी उस पर
चर्चा नहीं करती की उनकी फासी में देरी क्यों ?पर अगर किसी ने ७५ साल के बुजुर्ग हिन्दू धर्म के संत पर आरोप लगता है [अगर साबित हो तो सजा जरूर होनी चाहिए] तो सब लोग बिना जाँच के ही उस को दोसी मान लेते है उसको फासी देने की बात करते है , मीडिया भी बोलती है पोलिस क्यों हाथ डालने से डरती है , लोग सडको पर आ जाते है। ये सही है क्या ? क्या हमारी न्याय व्यस्था इतनी कमजोर है की हम कुछ दिन इंतजार नहीं कर सकते की अदालत को अपना निर्णय देने दो, २००९ में मुम्बई में कई पोलिस वाले शहीद हुए और कसाब को पकड़ा भी पर तब जनता सडको पर नहीं उतरी की इसको फासी दो, क्यों भाई वो पोलिस वाले क्या भारतीय नहीं थे , उन्होंने हमारे लिए ही जान दी, ऐसे ही कई मामले है जब हमारे सेनिक मरते है आतंकी पकडे जाते है और हम टीवी देखते है। हमको तब भी सडको पर आना चाहए की मारो इन आतंकियों को, हो सके तो इनके घर में घुस कर मारो, पर तब हमारे नेता लोग वोट की राजनीती करते है क्युकी उनको लगता है की भारत का हर मुसलमान पाकिस्तान को दिल से चाहता है , यही गलतफहमी इस देश को बाँट रही है। क्युकी भारत में बोद्द, जैन , पारसी, ईसाई, और काफी धर्मो के लोग है , पर किसी के लिए नेता लोगो में इतना प्रेम नहीं है जितना मुश्लिम लोगो के लिए है , पर जिसदिन हमारे नेता लोगो की ये गलत फहमी दूर हो जायेगी उसी दिन वोट की राजनीत बंद और सभी लोग भारतीय बन जायेगे, यहाँ पर में यही चाहता हु सडको पर उतारने वाली जनता से, तोड़ फोड़ करने वाली जनता से की कुछ सबर से काम ले या फिर सबके लिए बे-सबर रहे, महगाई, भ्रस्तचार, आतंकी हमले, विदेसी व्यापर जो हमारे देशी व्यापर को बर्बाद कर रहा है। सबके लिए, यही न्याय संगत है । 

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