हम किस ओर जा रहे है सोचिये
अभी कुछ दिन पहले में अपने गावं गया, और संयोगवश वस्ती में भी जाना हुआ, वह पर मेरी मुलकात बहुजन पार्टी के एक सक्रीय कार्यकर्ता से हुयी, कुछ देर तक रास्ट्रीय एवं अंतरास्ट्रीय मुद्दो पर बात होने के बाद वो सीधे ब्राह्मणवाद, ठाकुरवाद इत्यादी पर आ गए और बोले की आज में बहुजन समाजवादी पार्टी से जुड़ा हू अब मुझ पर कोई ठाकुर, ब्राह्मण या बनिया जुल्म नहीं कर सकता और किया तो जैल में डलवा दूंगा हरिजन एक्ट लगबा कर, मुझे उनकी जागरूकता देखा कर बहुत अच्छा लगा फिर मेने पूछा क्या आप जैसे सरे लोग ये करबा सकते है, वो बोले हा जी, आज किसी भी दलित पर कोई ऊँची जाती का व्यक्ति जुल्म किया तो सीधा जैल जायेगा, यहाँ पर वो कुछ भाबुक से हो गए थे, मेने भी उनकी भावनायो का सम्मान किया, और सिर्फ बोला ठीक है भाई, पर अचानक से मेरे दिमाग के विचार आया कि क्या आज़ादी के बाद किसी सवर्ण हिन्दू में इतना साहस से कि जुल्म कर ले, और अगर करता है तो वहा के ग्राम प्रधान, ब्लाक प्रमुख, बिधायक, संसद, प्रशानिक अधिकारी क्या करते है, पर फिर मेने उनसे ही पूछा की आपको राजनितिक पार्टी में आने से क्या मिला है, वो बोले समाज में एक स्थान मिला है, मुझे सुन कर बहुत बढ़िया लगा, पर मेने पूछा आपके बच्चे क्या कर रहे है, तो वो बोले कुछ नहीं, में हु न उनको कुछ करने की क्या जरुरत है, तब मुझे दुःख हुआ, मेने उनको बोला सरकार आप लोगो की पढ़ाई के लिए हम जैसो से लाखो रुपये टैक्स में बसूलती है, और आप को इतना आरक्छन मिला है कि आपके बच्चे बड़े अधिकारी भी बन सकते है और आप है की अपनी झूठी वाह-वाही में उनका भविस्य बर्बाद कर रहे हो, इस बात पर वो मुझ पर ही भड़क गए, बोले तुम ऊँची जाती वाले हमारी समाज में बदत को बर्दास्त नहीं कर सकते हो, तुम यही चाहते हो की हम हमेसा तुम्हारे तलवे चाटते रहे, तुम हम पर ज़ुल्म ही करना जानते हो तो हमें उठते हुए केसे देख सकते हो, इस अप्रत्यासित हमले कि मुझे आशा नहीं थी पर फिर भी कही मेरा अवचेतन मन तैयार था, मै २ मिनट मौन रहा फिर मेने पूछा आप ये बतायो की मेने आप से कब कहा कि मेरे तलवे चाटो, कब मेने आप पर ज़ुल्म किया, तब वो बोले आपकी नहीं आपके पूर्वजो की बात कर रहा हु, मेने अपने पिता जी और दादा जी के लिए भी उनसे पूछ लिया, तब बो बोले उन्होंने ने भी नहीं किया, फिर उन्होंने जोर देकर कहा कि आपके पूर्वजो की बात कर रहा हु, तब मेने पूछा आपकी उम्र देखकर तो नहीं लगता कि आप मेरे दादा जी से भी बड़े हो, तब वो बोले की उन्होंने हमारे पूर्वजो पर किये थे, अब मुझे हसी आ गयी, मेने कहा आप भी कमाल करतें हो, मेरे पूर्वजो ने आपके पूर्वजो पर किया, अब तो न मेरे पूर्वज बचे ना आपके, फिर किसलिए उनको घसीट रहे हो, सरकार की स्कीम का फायदा उठा लो, और आगे बढ़ जायो, जिससे ये आरक्छन जड़ी से ख़तम हो जाये और हमारे आने वाले बच्चे इस आरक्छन की भेंट न चढ़े,
अज़ीब से लोग है उनको कोसते रहते है जो १९४७ से पहले निपट गए, आज जो समस्याए है उनके हल नहीं खोजेगे, वैसे चौड़े होकर घूमेंगे पर जब पूछो की सर्कार पिछले ६० सालो से तुमको ये सुभिधाये दे रही है उनकी मदद से कहा तक पहुचे तो उसके लिए भी सवर्ण हिन्दू को ही गरियाएंगे, जब कि आज उनको ये सवाल अपने ग्राम प्रधान से, ब्लाक प्रमुख से, विधायक से , सांसद से, प्रशानिक अधिकारी से पूछना चाहिए की सरकार ने जो ये सुभिधाये हमारे लिए बनाई है वो कहा है, भाई ये लोक तंत्र है, इसमें सारी ताकते प्रधान, ब्लाक प्रमुख, विधायक, सांसद, प्रशानिक अधिकारी जैसे लोगो के पास है, हम तो बस इस इंतज़ार में है कि जल्दी से ये आरक्छन ख़तम हो जिससे हमारे बच्चो को दोस्तों से ऐसी घृणा न हो जैसे कभी हमें हुयी थी।
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