फुट डालो और राज करो

जब में कक्षा 4 में पढता था तो एक बार मेरे एक अध्यपक ने कहानी सुनाई की एक बार निबन्ध प्रतियोगिता में पूछा गया की अंग्रेज 200 साल तक भारत में राज कैसे कर गए तो जिस व्यक्ति को पहला पुरस्कार मिला उसने सिर्फ एक लाइन लिखी थी 'आपस में फुट डाल कर' पर मुझे लगता है उसको ये भी पूछना चाहिए था की मुग़ल कैसे 800 साल तक राज करते रहे ।

मुग़लो के आने से पहले हिंदुस्तान का सामाजिक ढांचा आपसी सहयोग पर निर्भर था । एक वर्ग की दूसरे वर्ग पर पुरे वर्ष निर्भरता रहती थी इसलिए एक सामाजिक साहचर्य की भावना थी । में कुछ इतिहास कारो के ये बात भी मान लेता हूँ की इतने बड़े भूभाग में कुछ स्थानों पर कुछ जाती विशेष की स्तिथि ज्यादा अच्छी थी और किछू की बहुत ख़राब । पर इसके लिए तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था दोषी नही थे दोषी सिर्फ वही लोग थे क्योंकि जितना इतिहास का अध्ययन मेने किया है उसके अनुशार किसी भी राज्य का शासन करने वाला आधिकारिक रूप से वर्ण व्यस्था या वर्ग विभाजन को स्वीकृति नही देता था ।

राजा का कार्य होता था पूरी प्रजा का पालन और पोषण करना ।फिर भी बोद्ध धर्म और जैन धर्म के आगमन से तत्कालीन हिन्दू धर्म में फुट पड़ने लगी इन दोनों धर्मो को मानने वाले स्वयं को हिन्दू धर्म से अलग मानने लगे और जहा तक संभव हुआ हिन्दू धर्म में व्याप्त कुरीतियो पर प्रहार किया जिसे तत्कालीन धर्म गुरुओ से सुधारने की कोशिश भी की पर उस समय भी हिन्दू धर्म को प्रवर्तित करने वाली कोई केंद्रीय सत्ता नही थी और आज भी नहीं है ।

सभी धर्म ग्रन्थ सबके लिए सुलभ तो नही थे पर दुर्लभ भी नही थे  हा यहाँ पर फिर से में कुछ इतिहासकारो के बात मान लेता हूँ की इन धर्मग्रंथो पर एक वर्ग विशेष का अधिकार था जिसे संस्कृत का ज्ञान था और इस वर्ग को उस समय ब्राह्मण कहा जाता था ।

किन्तु एक स्थान के ब्राह्मण का दूसरे स्थान के ब्राह्मण से किसी भी प्रकार का सामंजस्य नही होता था वल्कि धार्मिक ग्रंथो में लिखी बातो पर शास्त्रार्थ होते थे किन्तु एक स्थान का ब्राह्मण कभी भी दूसरे स्थान के ब्राह्मण स्व सहमत नही हुआ इसलिए इन धर्म ग्रंथो का जिसने जो अर्थ निकाल कर बताया उस स्थान विशेष की जनता को मान लेना पड़ा ।

मेरे कहने का अर्थ है की हमारे धर्म ग्रन्थ भौतिक और अंतरिक्ष विज्ञानं की तरह है जिसने जितना खोज लिया वो उतना जान गया और वही उसने समाज को दिया ।

खैर ये तो हुयी धर्मग्रंथो की बात पर मूल बात ये थी की क्यों हमारे देश में मुग़ल 800 साल तक राज करते रहे क्युकी हमारे देश में एक वर्ग ने जरूरत के समय दूसरे वर्ग का साथ नही दिया उसका कारण था बोद्ध धर्म के लोगो का हिन्दू धर्म से द्वेष ।

अगर आप चन्द्रगुप्त या अशोक कालीन इतिहास का अध्ययन करे तो आप पायेगे की उस समय भी सिकंदर सेल्युकस और भी कई विदेशी लोगो ने आक्रमण किये पर उनमे से कोई भी जीत कर नही गया किसी न किसी राजा ने उसको हरा ही दिया परन्तु कलिंग युधः के बाद अशोक ने बोद्ध धर्म को राज धर्म घोसित कर दिया जो हिन्दू धर्म का परम विरोधी धर्म है इस धर्माम्बलम्बियो ने शास्त्र और शस्त्र दोनों का भी बढ़ चढ़ कर विरोध किया अब चुकी ये धर्म एक व्यक्ति से कोई विशेष मेहनत नही चाहता है इस्लिये इसकी तरफ लोगो का झुकाव भी हो गया । अब जनता को न तो मंदिरो में कोई आस्था रही न ही रास्ट्र प्रेम में क्योंकि राष्ट्र प्रेम की बात हिन्दू धर्म के अलाबा और कोई धर्म नही सिखाता ।

इसलिए जब मेहमूद गजनवी ने सबसे पहले हमला किया तो गुजारत के राजाओ ने विरोध किया और बाकी राजा इसको एक राज्य विशेष की समस्या समझ कर शांत रहे क्योंकि ज्यादातर  राजाओ में अब देश प्रेम और धर्म प्रेम खत्म हो गया था इसलिए कोई आगे भी नही आया ।

वल्कि कुछ इतिहासकारो का मानना हा की उस समय कुछ गैर हिन्दू राजाओ ने इन मुस्लिम आक्रमणकारियो को हथियार और सैन्य साधन भी दिए सिर्फ इसलिए की ये आक्रमणकारी सोमनाथ पर हमला करने आये है ।

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