Cheej vahi soch nayi
आज कल स्टार प्लस वाले हमारे लपूझन्ना किरकेट खिलाडीयो से एक विग्यापन करवा रहे है जिसमे स्वयम्भू धोनी महाराज और विराट स्वरूप् कोहली जी अपनी माता जी का नाम लिखी हुयी शर्ट के साथ अवतरित होते है ।
वहा उनसे कोई पूछे या न पूछे पैसे के लिए ये महा पुरुष खुद पूछ लेते है की आप सोच रहे होंगे की मेरी शर्ट पर ये किसका नाम है तो साब ये मेरी माँ का नाम है और स्वयम्भू कहते है की जब मेरे पिता ला नाम था तब तो आपने नही पूछा की ये किसका नाम है । और शुरू हो गौए माता जी का योगदान गिनाने में और अब पिता का त्याग और बलिदान नगण्य हो गया ।
खैर माता पिता में कोई भेद नही होता है उए हमारी संस्कृति है पर जिस तरह से ये लोग दिखाते है वो एक विकृति है । इन का कहना है की हमारे देश में सदैव माता ला नाम गौड़ रखा गया और पिता का आगे और अब ये दिखा रहे है की हम माता का नाम आगे करके एक नई सोच को जन्म दे रहे है बस यही गलत है ।
जैसे आज आप लोग अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए माँ के नाम ला सहारा ले रहे हो कुछ समस्याया रही होगी या फायदा रहा होगा इसलिए पिता का नाम ज्यादा प्रचलन में आ गया पर जिस सोच को आप अपनी नई सोच ला जामा पहन रहे हो उसे आप अपनी नही कह सकते भाई ये तो भारत के प्राचीन लक्षणों में से एक है ।
हम भगवान राम को कौशल्या नंदन ले नाम से जानते है जैसे इस भजनइ देखिये । भये प्रकट कृपाला दींन दयाला कौशयला हित कारी ।। अब भगवान कृष्ण के लिए इस श्लोक को देखिये । वासुदेव सुतम् देवम् कंस चडुर मर्दनम देवकी परमानन्दम् कृष्णम् वंदे जगद गुरुम् ।।
ऐसे है गांधारी नंदन कुंती नंदन सुमित्रा नंदन अंजना नंदन गंगा पुत्र इत्यदि नाम हम सब जानते है की किसके सम्बोधन के लिए है और साथ ही जनक नंदनी बृषभान नंदनी जैसे नाम भी किनके लिए है सब जानते है ।
तो हमारी परम्परा गत सोच को नई सोच कहने ला अधिकार इनको किसने दे दिया । हो सकता है ये नमूने कहने लगे की हम भी हिन्दू है और घर साफ कर रहे है तो भैया घर साफ करना और घर साफ करना दोनों सुनने में भले ही एक लगे पर कहने वाले की नियत से पता चला जाता है की वो क्या साफ कर रहा है ।
वहा उनसे कोई पूछे या न पूछे पैसे के लिए ये महा पुरुष खुद पूछ लेते है की आप सोच रहे होंगे की मेरी शर्ट पर ये किसका नाम है तो साब ये मेरी माँ का नाम है और स्वयम्भू कहते है की जब मेरे पिता ला नाम था तब तो आपने नही पूछा की ये किसका नाम है । और शुरू हो गौए माता जी का योगदान गिनाने में और अब पिता का त्याग और बलिदान नगण्य हो गया ।
खैर माता पिता में कोई भेद नही होता है उए हमारी संस्कृति है पर जिस तरह से ये लोग दिखाते है वो एक विकृति है । इन का कहना है की हमारे देश में सदैव माता ला नाम गौड़ रखा गया और पिता का आगे और अब ये दिखा रहे है की हम माता का नाम आगे करके एक नई सोच को जन्म दे रहे है बस यही गलत है ।
जैसे आज आप लोग अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए माँ के नाम ला सहारा ले रहे हो कुछ समस्याया रही होगी या फायदा रहा होगा इसलिए पिता का नाम ज्यादा प्रचलन में आ गया पर जिस सोच को आप अपनी नई सोच ला जामा पहन रहे हो उसे आप अपनी नही कह सकते भाई ये तो भारत के प्राचीन लक्षणों में से एक है ।
हम भगवान राम को कौशल्या नंदन ले नाम से जानते है जैसे इस भजनइ देखिये । भये प्रकट कृपाला दींन दयाला कौशयला हित कारी ।। अब भगवान कृष्ण के लिए इस श्लोक को देखिये । वासुदेव सुतम् देवम् कंस चडुर मर्दनम देवकी परमानन्दम् कृष्णम् वंदे जगद गुरुम् ।।
ऐसे है गांधारी नंदन कुंती नंदन सुमित्रा नंदन अंजना नंदन गंगा पुत्र इत्यदि नाम हम सब जानते है की किसके सम्बोधन के लिए है और साथ ही जनक नंदनी बृषभान नंदनी जैसे नाम भी किनके लिए है सब जानते है ।
तो हमारी परम्परा गत सोच को नई सोच कहने ला अधिकार इनको किसने दे दिया । हो सकता है ये नमूने कहने लगे की हम भी हिन्दू है और घर साफ कर रहे है तो भैया घर साफ करना और घर साफ करना दोनों सुनने में भले ही एक लगे पर कहने वाले की नियत से पता चला जाता है की वो क्या साफ कर रहा है ।
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