Why death of Hindus are not become a news

समाचार वाले भी हिन्दू मुश्लिम के कितना भेदभाव करते है, जब अख़लाक़ की हत्या हुयी तो सबने बोला एक मुस्लिम की हिन्दू ने हत्या की, और रवि की मौत को एक कमजोर किस्म का केस बनाने के लिए इसमें कही नहीं लिखा की हिन्दू की हत्या मुस्लिम जेलर ने, आखिर इतना भेदभाव करके कही न कही हिन्दुओ के अंदर भी व्यवस्था के प्रति असंतोष और असुरक्षता की भावना का सृजन कर रहे है

वैसे मेने जब से होश सम्भाला है तब से समाचारो के माध्यम से यही देखता सुनता आ रहा हूँ की एक मुसलमान की जान इतनी कीमती होती है की जब तक उसके बदले में 100 से ज्यादा हिन्दू मार नही मारे जाते उसके परिवार की क्षति पूर्ति नही होती ।

अख़लाक़ की हत्या पर बीबीसी cnn the हिन्दू टाइम्स ऑफ़ इंडिया सबकी एक ही खबर थी भारत में सम्प्रदायिक ताकते बढ़ रही है और आज ये सारे अख़बार शांत है । बोलीवुड शांत है । वायुसेना अध्यक्ष चुप है किस हिम्मत है जो कोई उस जेलर की खिलाफ कुछ बोल दे एक तो वो मुशलमान दूसरा मुलायम सिंह का शासन जिसने निहत्थे कारसेवको पर सिर्फ मुस्लिम तुस्टिकरण करण के लिए गोलिया चलवा दी थी ।

आज भी देश में औरँगजेब और जयचन्द के वंशज एक दूसरे से मिले हुए है और वीरो के वंशजो के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहते है ।

आज मुझे गर्व महशुस होता है कीइ आरएसएस से जुड़ा हूँ अगर आरएसएस बीजेपी और अन्य समर्पित हिन्दू सन्गठन न हो तो वोट बैंक की राजनीती करने वाले मुलायम मायावती शरद लालू एयर नितीश ममता जैसे लोग हिन्दुओ के बंटे हुए वोट को नकार कर एक बडी मात्रा में मिलने वाले वोट जो की सिर्फ मुश्ल्मानो से ही मिल सकता है उनकी तुस्टिकरण के लिए सारी हद पार कर सकते है ।

मुस्लिम तुस्टिकरण एक धर्मनिरपेक्ष देश में संबिधान का उल्लंधन है और देश की जड़े खोखली करने वाली है ।

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