Why Uttar Pradesh still a backward state in hindi
साठ-सत्तर वर्ष पहले हमारे एक रिश्तेदार उद्यमी पानीपत में कम्बल बेचते थे.... उनका बड़ा बेटा जवान हुआ तो उसे दुकान पर बैठा लिया.... कारोबार के हुनर सिखाये.... हिसाब-किताब रखना सिखाया..... फिर दूसरा बेटा तैयार हुआ..... तो बोले बेटा तुम कम्बल बनाने की फैक्ट्री लगा लो.... अब कम्बल बाज़ार से खरीदने बंद........ अब तीसरा बेटा जवान हुआ.... तो बोले... कम्बल के लिए धागा खरीदना पड़ता है.... सो धागा मिल लगा लो.... लीजिये धागा भी बाज़ार से खरीदना बंद......
अब अगली पीढ़ी के बच्चे बड़े हुए.... एक को कम्बल को धोने, प्रेस करने और पैकिंग करने का फिनिशिंग प्लांट लगवा दिया.... दुसरे को धागे का रॉ मटेरियल यानि वेस्ट कॉटन व वूलन की खरीद, सफाई और रंगने का काम करवा दिया.... तीसरे को एक्सपोर्ट का काम सिखाया..... और कच्चे माल से तैयार कम्बल सब कुछ एक ही छत के नीचे होने लगा.... जो कम्बल दूसरों को सौ रूपये का पड़ता था.... इन्हें नब्भे रूपये का पड़ने लगा.... और क्वालिटी कहीं बेहतर....... आज कम्बल के किंग हैं.......
एक छोटी सी दूकान दूरद्रष्टि और लगन से कैसे एक मल्टी मिलियन एक्सपोर्ट हाउस बनती है... उपरोक्त सत्य कहानी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है.....
मित्रों... इसी प्रकार देश और राज्य का व्यापार है...... आज कुछ खरीद रहे हैं.... तो कल उसके पुर्जे भी बनायेंगे..... फिर उसे असेम्बल भी यहीं करेंगे.... और फिर एक्सपोर्ट भी करेंगे.............
राज्य हो या देश....... कोई भी समाज खुशहाली की राह उद्द्योग धन्धों से ही पकड़ता है...... राज्य और देश का विकास ऐसे ही धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से विकसित करना होता है..... और इसके लिए आपके चुने हुए लीडर की योग्यता और दूरद्रष्टि ही संभव कर सकती है.........
यूपी, बिहार, बंगाल से आज भी मेहनतकाश इंसान अपनी रोजी-रोटी के लिए गुजरात और महाराष्ट्र दिल्ली गुड़गांव को पलायन करने को अभिशप्त हैं...... तो इसके जिम्मेदार यहाँ के निवासी ही हैं...... यदि मुफ्त के लैपटॉप, मोबाईल, बिजली, चावल और साईकल से जीवन स्तर बेहतर होते तो आज ये राज्य भी विकसित राज्य कहलाते...... केवल राजनितिक चेतना ही पर्याप्त नहीं है..... व्यावसायिक चेतना भी जनता और राजनीतिज्ञों में जगानी आवश्यक है......
वोट देना केवल एक कर्तव्य भर नहीं है..... यह बेहद जिम्मेदारी का कार्य है.... अपने प्रतिनिधियों के चयन में सावधानी रखना आवश्यक है... अन्यथा हमेशा पिछड़े ही रहेंगे.....
अब अगली पीढ़ी के बच्चे बड़े हुए.... एक को कम्बल को धोने, प्रेस करने और पैकिंग करने का फिनिशिंग प्लांट लगवा दिया.... दुसरे को धागे का रॉ मटेरियल यानि वेस्ट कॉटन व वूलन की खरीद, सफाई और रंगने का काम करवा दिया.... तीसरे को एक्सपोर्ट का काम सिखाया..... और कच्चे माल से तैयार कम्बल सब कुछ एक ही छत के नीचे होने लगा.... जो कम्बल दूसरों को सौ रूपये का पड़ता था.... इन्हें नब्भे रूपये का पड़ने लगा.... और क्वालिटी कहीं बेहतर....... आज कम्बल के किंग हैं.......
एक छोटी सी दूकान दूरद्रष्टि और लगन से कैसे एक मल्टी मिलियन एक्सपोर्ट हाउस बनती है... उपरोक्त सत्य कहानी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है.....
मित्रों... इसी प्रकार देश और राज्य का व्यापार है...... आज कुछ खरीद रहे हैं.... तो कल उसके पुर्जे भी बनायेंगे..... फिर उसे असेम्बल भी यहीं करेंगे.... और फिर एक्सपोर्ट भी करेंगे.............
राज्य हो या देश....... कोई भी समाज खुशहाली की राह उद्द्योग धन्धों से ही पकड़ता है...... राज्य और देश का विकास ऐसे ही धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से विकसित करना होता है..... और इसके लिए आपके चुने हुए लीडर की योग्यता और दूरद्रष्टि ही संभव कर सकती है.........
यूपी, बिहार, बंगाल से आज भी मेहनतकाश इंसान अपनी रोजी-रोटी के लिए गुजरात और महाराष्ट्र दिल्ली गुड़गांव को पलायन करने को अभिशप्त हैं...... तो इसके जिम्मेदार यहाँ के निवासी ही हैं...... यदि मुफ्त के लैपटॉप, मोबाईल, बिजली, चावल और साईकल से जीवन स्तर बेहतर होते तो आज ये राज्य भी विकसित राज्य कहलाते...... केवल राजनितिक चेतना ही पर्याप्त नहीं है..... व्यावसायिक चेतना भी जनता और राजनीतिज्ञों में जगानी आवश्यक है......
वोट देना केवल एक कर्तव्य भर नहीं है..... यह बेहद जिम्मेदारी का कार्य है.... अपने प्रतिनिधियों के चयन में सावधानी रखना आवश्यक है... अन्यथा हमेशा पिछड़े ही रहेंगे.....
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