Why we know the god why we love god

एक दिन यूँ ही बैठे बैठे मन में विचार आया की ईश्वर तो सबका है फिर कोई उनको जानता है कोई उनको मानता है, किसी को वो बुरा लगता है किसी को अच्छा लगता है । कोई कुछ जनता है कोई कुछ कहता है आखिर समस्या कहा है ।

कोई उनको भगवान राम कहता है कोई भगवान कृष्ण कहता है कोई नारायण कोई शिव पर वास्तव में वो कोई है जो हम सबको ऊर्जा देता है जीने के लिए किछू करने के लिए ।

पर आखिर क्यों वो इतना भिन्न है सबके लिए । ऐसा सोचा और सोचते सोचते समझ में आया की जैसे सूर्य सबको दीखता है फिर भी वो जरूरत और ज्ञान के अनुशार है जैसे एक कपडे धोने वाले के लिए सूर्य सिर्फ उसके कपड़े सुखाने में सहायक है इससे ज्यादा कुछ नही । एक मिटटी के बर्तन बनाने वाले के लिए भी कच्ची मिटटी की थोडा मजबूत करने में सहायक है उससे ज्यादा कुछ नही । एक के विद्यार्थी के लिए सूर्य एक आग ला गोला है कक्षा 2 केलिए कुछ ज्यादा जानकारी फिर स्नातक वाले के लिए सूर्य कुछ और ज्यादा है और वैज्ञानिक के लिए विटामिन एनर्जी और न जाने क्या क्या है जिससे भोजन से लेकर बिजली तक बनायीं जा सकती है ।

अब एक बर्तन बनाने वाला कपड़े धोने वाले विद्यार्थी और वैज्ञानिक सबके लिए सूर्य के बारे में जानकारी और जरुरत अलग अलग है अपर सूर्य तो एक ही है और दिखनेइ विद्यार्थी कपड़े वाला वर्तन वाला और वैज्ञानिक सब मनुष्य एक जैसे ही है फिर भी ज्ञान और जानकारी अलग अलग है ।

इसी तरह ईश्वर एक ही है पर सब मनुष्य उनके बारे में उतना नही जानता जितना की एक वैज्ञानिक सूर्य के बारे में जनता है ।

ये बात कुछ अलग है ।
जग पेखन तुम देखन हारे । विधि हरी संभू नचावन हारे।।
सोउ न जाने मर्म तुम्हारा । और तुम्हे को जानन हारा ।।
जय श्री राम


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