Significant of Satya Narayan vrat katha in hindi
भगवान सत्य नारायण की कथा हम सबने सुनी होगी । शायद ही कोई हिन्दू ऐसा हो जिसने आजतक के जीवन काल में ये कथा न सुनी हो ।
इस कथा का आध्यत्मिक महत्त्व तो सब बताते है पर एक सामाजिक महत्त्व भी है जो शायद सुनाने वाले को भी न पता हो और अगर हो भी तो अब तक न बताया हो । और सुनने वाले को भी न पता हो ।
कथा में जो मूल पत्र है वो है राजा उलका मुख साधू बनिया गरीब ब्राह्मण और एक लकडी काटने वाला इसके अलाबा ग्वाल बाल और लीलावती कलावती और इन सबने भगवान विष्णु यानि सत्य नारायण की पूजा की और इस संसार के समस्त सुख प्राप्त करके अगले जन्म में भगवान का सानिध्य भी प्राप्त किया।
अब किसी भी प्रकार की शंका नही रहनी चाहिए की भगवान की पूजा का अधिकार किसी एक वर्ग का है । भगवान की पूजा का अधिकार सभी वर्गों का है येही इस कथा का सार है यही सत्य है इसीलिए इसे सत्य नारायण की कथा कहते है ।
ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शुद्र नारी और बालक सभी अपने मन से भगवान की पूजा कर सकते है और परमपद प्राप्त् कर सकते है ।
इसी सत्य
इस कथा का आध्यत्मिक महत्त्व तो सब बताते है पर एक सामाजिक महत्त्व भी है जो शायद सुनाने वाले को भी न पता हो और अगर हो भी तो अब तक न बताया हो । और सुनने वाले को भी न पता हो ।
कथा में जो मूल पत्र है वो है राजा उलका मुख साधू बनिया गरीब ब्राह्मण और एक लकडी काटने वाला इसके अलाबा ग्वाल बाल और लीलावती कलावती और इन सबने भगवान विष्णु यानि सत्य नारायण की पूजा की और इस संसार के समस्त सुख प्राप्त करके अगले जन्म में भगवान का सानिध्य भी प्राप्त किया।
अब किसी भी प्रकार की शंका नही रहनी चाहिए की भगवान की पूजा का अधिकार किसी एक वर्ग का है । भगवान की पूजा का अधिकार सभी वर्गों का है येही इस कथा का सार है यही सत्य है इसीलिए इसे सत्य नारायण की कथा कहते है ।
ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शुद्र नारी और बालक सभी अपने मन से भगवान की पूजा कर सकते है और परमपद प्राप्त् कर सकते है ।
इसी सत्य
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