जातिवाद और जातिगत आरक्छन
जातिवाद का मतलब होता है की मेरी जी जाती उन्नति करे, सभी अच्छे पदों पर मेरे अपने लोग हो, हम लोग एक दूसरे के कामो में सहयोग करे भाईचारे, और ये लगभग हर कोई चाहता है फिर वो किसी भी धर्म का हो, जाती का हो, समुदाय का हो, महिला वर्ग हो, कोई भी हो।
अब दूसरा प्रश्न उठता है किसी की भी जाती आपको कैसे पता चलती है [१] पूछने पर [२] अपने आप बताने पर [ ३] किसी जाती विशेष की बुराई करने पर (आप एक मोटा मोटा अनुमान लगा सकते हो ) [४] हिन्दू भगवानो की बुराई करने पर (अनुमान ही लगा सकते हो ) [५] मनुस्मृति की बुराई करने पर (अनुमान ), अब आप खुद लोगो से मिलने पर कभी आपने उससे उसकी जाती पूछी , शायद नही, कोई सामान लेते समय, किसी काम पड़ते समय , आम तौर पर हम कभी किसी पूछते ही नही है, कारण ये है की फुर्सत नही है।
और जिनको फुरशत है वो बहाने खोजते है उलझने के, कभी देखिएगा लोग कैसे उलझते है , एक बार में ग्वालियर स्टेशन पर भगवद गीता पढ़ रहा था, मेरा नियम है में रोज पढता हूँ, बगल में बैठे साहब बोले में कृष्ण को नहीं मंटा , सबसे बड़ा जातिवादी तो ये कृष्ण ही है, सोचिये आप किसी की पूजा करते हो सम्मान करते हो और कोई उनके लिए ऐसा बोले तो बुरा लगेगा , मै अपने श्लोको में मस्त था और ट्रेन इंतज़ार कर रहा था, पर वो मानते ही नही और बोले जा रहे थे, मेने उनसे पूछा की आप इलेक्ट्रान को जानते हो बोले नही तो मेने कहा जब आप इलेक्ट्रान को नही जानते तो श्री हरी विष्णु को समझने की अक्ल आपमें है ही नही, और में रस्ते भर ये सोचता रहा कैसे व्यक्ति है जो श्री कृष्ण और भगवद गीता को नही मंटा, वो बात आज समझ की वो हिन्दू द्वेषी मानव था और उसको सरकार ने काफी मुफ्त की सुविधाएं दी है इसलिए समय है तो बोलेगा ही।
लोग अपनी जाती खुद बताते है और कोशिश करते है सिद्ध करने की कि वे आपसे श्रेष्ठ है, बस यही है टकराव , चाहे तो खुद करके देखिये, अगर कोई आपसे सिर्फ मनुस्य या भारतीय की तरह मिलेगा तो आप भी वैसे ही मिलोगे, मुसलमान बन कर मिला तो आप भी हिदू बन मिलोगे, बन तो आप सवर्ण बन मिलोगे, अगर पिछड़ा बन मिला अगड़े बन कर मिलोगे, महिला बन कर मिला ततो आप भी पुरुष बन मिलोगे, मैनेजर बन कर मिला तो जो पड़ आपका होगा वही बन मिलोगे, अगर MBA बन कर मिला तो आप भी जो पढ़ाई पढ़ कर आये होंगे वही बन मिलोगे, मूल की आप वैसे ही मिलोगे जैसे सामने वाला मिल रहा है, अब अगर कोई अपनी जाती बताये ही न तो कुछ भी लिख लो, पर लोग जाती प्रमाण पत्र खुद बनवाते है और कहते है जातिवाद खत्म करो, तुम मत बनवाओ किसे पता चलेगा की तुम जाती के हो, पर तुम अपनी जाती वर्चस्व चाहते हो बाकि लोग सजग हो जाते है और टकराव होता है।
अब जातिगत आरक्छन पर आते है [१] फॉर्म भरते समय फीस में छूट [२] आयु में छूट [३] किराये छूट [५] मुफ्त छात्रावास और कोचिंग छूट [७] नंबर ऑफ़ अटेम्प्ट की छूट [८] नम्बर छूट, अब इतनी छूट दी है तो किसी हिस्सा छीन कर ही दी जाएगी, पर स्वार्थ अंधे लोगो कहना है की हम पर जुल्म हुआ उसकी भरपाई है, जुल्म का बदल जुल्म, पर सुविधाएं जिन वर्गों के लिए है उनमे भी जो सक्छम लोग हड़प लेते है और वास्तविक जनता तक नहीं पहुच पाते इसीलिए लोग आज भी वही है।
ये सक्छम वर्ग कभी भी अपने वर्गों के गरीब व्यक्ति से नहीं मिलते पर सवर्णो से मिलकर उनको गालिया देते है पूर्वजो को गरियाते है, और उसका नुकशान इन वर्गों के वास्तविक लोगो को उठाना पड़ता है , क्योंकि सवर्ण वर्ग सक्छम दलितों खुन्नस इन लोगो से निकलता है जिससे वर्ग विभाजन ज्यादा गहरा जाता है।
यदि है पूरी कहानी, पसन्द आये तो ठीक ठीक
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