प्रगति के पथ पर भारत कैसे बढे

आज भारत देश में एक ऐसे वर्ग का धीरे धीरे उदय हो रहा है, जो चाहता है  उसके अलाबा बाकि सभी लोग नीतियों का पालन करे, कर्तव्यनिष्ठ बने, सम्प्रदाय और जातिवाद से दूर रहे और निस्पक्छस होकर गैर राजनितिक हो के देश की और समाज की सेवा में अपने प्राणों की आहुति दे दे, पर वो खुद न तो किसी नीति पर चलते है, न ही पूर्ण कर्तव्यनिष्ठ होते है, वो जिस जाती या धर्म में जन्मते है उसके प्रति पूर्ण समर्पित होते है, और चाहते है की राष्ट्र में उनकी जाती और धर्माम्बलंबियो का वर्चस्व हो, जिस राजनीतिक पार्टी में उनकी निष्ठा हो उसे सभी लोग शुद्ध अंतःकरण से सर्वोपरि और राष्ट्र हितवादी पार्टी मानकर अपना समर्पण दे, पर भाई ये तो लोग 1947 से करते आ रहे है, अब समय है बदलने का, कुछ खुद करने का, अपनी बुद्धि जाती और धर्म के नाम पर वोट देने वाली प्रवत्ति से हटाने का, मानता हूँ आपकी जाती के लोग जाती के नाम पर वोट देते है, धर्म के नाम पर देते है, और अभी तक देते आये है, पर आपको वास्तव में क्या मिला।


देश का दलित 1947 से खुद दलित होने के कारन उनलोगों को वोट देते आया जिसने जातिगत आरक्छन का मुफ्त की चीजे देते का वादा किया, पर जाती के नाम पर फायदा किसे हुए, उनकी जाती के उन संपन्न लोगो को जिह्नो जागरूक होने के कारन बजी मार ली, मतलब अनुदान और आरक्छन आपकी शक्ल दिखाकर सरकार से लिया और फायदा उनको हुआ जो पहले से सम्पन्न है, सक्छम है, देश का दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक मुस्लिम का है, इनका भी इनके दर्मिक नेताओ ने बढ़िया दोहन किया, उत्कृष्ट शिक्षा और तकीनीक ज्ञान से दूर करके इस्लाम खतरे में ये कहकर या तो इनसे लोगो को मरवाया या अपने फायदे के लिए इनको ही, सरकार १९५० से अनुदान और शिक्षा के लिए प्रोत्साहन दे रहे है, पर आबादी तो ज्यादा है पर सक्छरता और महिला सक्छरता तो , कुछ मत कहो इस बारे।

सोचिये अगर देश की आज़ादी के समय जब भूदान आंदोलन और जाती धर्म के आधार पर आरक्छन दिया गया, उस समय देश के दलित, पिछड़े, अतिदलित और मुस्लिम लोग प्रति परिवार एक लाभ पर चलते तो आज तक देश के सभी लोग उन्नति कर चुके होते, और आरक्छन भी खत्म हो गया होता, पर ज्यादा के लालच और सबसे ज्यादा बढ़ बनने के चक्कर में जिन लोगो ने पहले लाभ ले लिए वही लोग अपने जाती और धर्म के लोगो को पीछे छोड़ता हुआ, सरे लाभ खुद और अपने परिवार के लिए ही लेता रहा, नतीजा लाभ सिर्फ कुछ लोगो तक ही सिम्त कर रह गया, और बाकी आज भी वंचितों और शोषितो की जिंदगी जीने को मजबूर है

क्या सब को ये नहीं लगता की अब उन्नति का समय है, आपकी और आपके पूर्वजो की जैसे तेज़ काट गयी अब अगली पीढ़ी का क्या, क्या दे रहे हो आप उनको, क्या मिलेगा उनको आपसे, देश के बड़े बड़े वोटबैंको से अनुरोध है की एकबार अपने को देखो, और अपने नेता को देखो, और उसने वास्तव में आपके लिए क्या किया, उससे आपको क्या फायदा हुआ ये देखो, या उसने आपको फायदे की लॉलीपॉप देकर आपको उल्लू बनाया ये भी देखो, सरकार ने आपके लिए योजनाए बनायीं तो आप तक पहुची तो कितनी और नहीं पहुची तो कहा अटकी, किसी अधिकारी ने अटकाई है या आपके ही संपन्न और सक्छम जाती और धर्म भाइयो  ने हड़प ली, अब समय है जारूक होने का, अपना अधिकार अपनों से ही लेने का, अगर आप देखना चाहो तो देखोगे की आपकी बिरादरी का एक व्यक्ति संपन्न और संपन्न होता जा रहा है, उसके बच्चे एक एक करके सरकारी नौकरी और बड़े शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे है और आप और आपके बच्चे अभी भी  मनरेगा में लगे हुए हो, क्यों ? सोचो और अपना अधिकार अपने जाती और धर्म भाई  से लेलो।[वाराणसी में जलमार्ग से नुकसान]

[में नहीं कहता की आप बीजेपी को वोट दो या मोदी जी समर्थन करो, मगर आप जिसका भी करो अपने विवेक से करो जागरूक होकर के करो, अगर कोई संकल्पवान विकल्प है आपके पास तो बताये]

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