सही मायने में महिला सशक्तिकरण क्या है
कभी कभी में सोचता हूँ की क्या वाकई महिला सशक्तिकरण हो रहा है या उसके नाम पर नंगापन या स्वछन्दता हो रही, सशक्तिकरण क्या है, सशक्तिकरण का मतलब होता है किसी और का सहारा बन जन जाना और खुद अपने पैरो पर खड़ा होना, पर क्या अपने किसी कामकाजी लड़की या महिला को देखा है जिसने किसी बुजुर्ग के लिए लेडिस सीट भी छोड़ी हो, मेने कई बार दिल्ली मेट्रो (दिल्ली मेट्रो का नक्शा) और बस में सफर किया इस तरह की घटना कभी देखने को नही मिली, है लेडिस सीट के लिए लड़कियों को किसी बुजुर्ग से लगते जरूर देखा और सीट लेने ये कहते भी सुना की हम लडकिया आप जैसो से अपना हक कैसे लिया जाता है जानते है।
मेरे विचार से ये तो सशक्तिकरण नही है, सशक्तिकरण तो ये है की आप कष्ट सहने को तैयार रहो और दुसरो के कष्ट कम करो, देश में करोडो ऐसा रोजगार युक्त पुरुष वर्ग होगा जिसके कम पढ़ीलिखी, अनपढ़ और पढ़ीलिखी पर गैर कामकाजी लड़कियों से शादी की अपना घर बसाया उनको भी एक सम्मानपूर्वक जीवन दिया , पर क्या आपने किसी ऐसी लड़की को देखा है जो कामकाजी हो पढ़ीलिखी हो उसने अनपढ़, कम पढेलिखे या रोजगार रहित व्यक्ति से शादी कर के उसको एक सम्मानपूर्ण जीवन दिया हो, शायद नही देखा होगा। [ जानिए क्या है देश और समाज के लिए मोदी जी की योजनाए ]
एक और धारावाहिक आता है 'भाभी जी घर पर है ' या उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर पर है, उसमे बिभूति नारायण मिश्रा नौकरी नही करते पर घर का सारा काम करते है और उनकी पत्नी काम करती है , बाबजूद उसके उनकी पत्नी उनको कई बार काम न करने के कारन बेइज्जत करती रहती है, तो ये सम्मान पूर्वक जीवन नही कहा जायेगा, क्योंकि कई बार लोग ये की क्या कोई पुरुष महिलाओ के तरह घर का काम करेगा, तो में कहता हूँ बिलकुल करेगा, आप एक बार पूछ क्र तो देखिये,पर याद रहे जैसा सम्मान आप चाहते है वैसे ही उसे भी चाहिए।
आज उन महिलाओ को देखकर लगता है की ये महिला सशक्तिकरण है जिन्होंने समाज को कुछ दिया है, चाहे वो आईएएस बने या आईपीएस या बेज्ञानिक या सैनिक, उसे आप सशक्तिकरण कैसे कह सकते है जिनके कर्मो से समाज गुमराह हो रहा हो, परिवार में विघटन हो रहा हो, लोग लड़ रहे हो। [ भारत में कितनी महिला उद्धमी है ]
में सोचता हूँ अगर १० सालो तक के लिए भी देश की पढ़ीलिखी और रोजगार युक्त महिलाये अनपढ़, बेरोजगार और पढेलिखे बेरोजगारों से शादी करने लगे तो भारत देश से बेरोजगारी खत्म हो जाएगी, क्योंकि आज हालात ये है कही कही तो पति पत्नी दोनों कमाते है और कही कही दोनों में से किसी के पास नौकरी नही है।
मोदी जी का बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का मूल उद्देश्य ही यही है की महिलाये आत्मनिर्भर बने और समाज के लिए कुछ करे, आज तक समाज ने ही बेटियो के लिए किया है और बेटियो ने सिर्फ परिवार के लिए, पर अब जरूरत है की परिवार बेटियो के लिए करे और बेटिया भी समाज के लिए कुछ करे, देश के बेरोजगार युवाओ को सहारा दे उनको भी अपने पैरो पर खड़े होने के लिए खुद आगे हाथ बढ़ाये।
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