केजरीवाल एक घिनोनी राजनीती का पर्याय बन गया है


अन्ना आंदोलन के समय जो केजरीवाल की छवि ज्यादातर लोगो के दिमाग में बदलने लगी है उन कुछ लोगो में मैं भी हूँ, एक भारतीय नागरिक होने के कारन मुझे कभी भी जातीयता, क्षेत्रवाद और धर्म या मुफ्तखोरी को बढ़ाने वाली राजनीती पसन्द नही थी, केजरीवाल जो की कभी IRS अधिकारी थे और समाज और देश की सेवा के लिए एक प्रतिस्थित राजपत्रित अधिकारी का पद छोड़ा, और उसके भी पहले IIT से स्नातक होने का गौरव उनको मिला था, जो की हम जैसे पढ़े लिखे लोगो के लिए प्रेरणाप्रद थी, क्योंकि हम लोग पढ़ने के बाद नौकरी खोजते है, टैक्स देते है इसके आगे देश सेवा के बारे में कुछ नही सोचते और नौकरी छोड़ कर देश सेवा की बात दिमाग में आती भी नही है, पर अरविन्द केजरीवाल के राजनीती में कदम रखते हुए हम जैसो को बहुत ख़ुशी हुयी क्योंकि एक उम्मीद जगी थी, की अब भारत में १९४७ के बाद एक राजनीतिक क्रांति आनेवाली है, आरोप प्रत्यारोप, घोटालो , जातिवाद, धर्म, क्षेत्रवाद और मुफ्तखोरी की राजनीती खत्म होगी, और धीरे धीरे समाज में जिन नेताओ के धर्म और जाती के नाम पर आरक्छन या मुफ्त के रेवड़िया बाँट कर अपनी राजनीती चमकाई है उसके दिन अब खत्म होने वाले है।

जब २०१३ में दिसम्बर के चुनाव के बाद अरविन्द ने दिल्ली के मुख्य मंत्री का पद संभाल तो लगा की कुछ बदलाव आएगा पर जनता से हर बात की फोन पर राय लेने वाले केजरीवाल ने जब अचानक से स्तीफा दिया और मजबूरन केंद्र को दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा तो हम जैसे लोगो के लिए ये गाँधी जी के चोर चोरी कांड के बाद असहयोग आंदोलन बापस लेने जैसा था, और हमारा मोह भांग होना शुरू हो गया केजरीवाल से, रही कसर उनके मोदी पर बेबजह के आरोपो ने पूरी  ,क्योंकि जिस व्यक्ति के १३ साल के कार्यकाल में कोई घोटाला नही, कोई व्यक्तिगत कमाई नही कोई क्राइम नहीं, में ऐसा इसलिए कह रहा हूँ की २००२ के बाद पूरी मीडिया, सीबीआई और केंद्र सरकार गुजरात उच्च न्यायालय और वहां के गवर्नर इन सबने बहुत परेशान करने की कोशिश की पर मोदी अपने विकास के काम में लगे ही रहे और इसीलिए जनता ने उनको लगातर गुजरात की गद्दी पर बिठाये रखा, और सबसे बड़ी बात गुजरात में उसने मुफ्तखोरी को कतई बढ़ावा नही दिया, जबकि केजरीवाल सत्ता में आये ही मुफ्तखोरी के वादों के साथ।

फ्री wifi , फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री ये फ्री बो, जनता ने ये भी नही पूछ की इतना फ्री देने के लिए पैसे कहा से लाओगे , टैक्स से या केंद्र से, क्योंकि अभी नोटबंदी के बाद मनीष सिसोदिया का बयान आया था की दिल्ली में व्यापर नहीं हुआ और हमारे पास कर्मचारियों के वेतन के लिए भी पैसे नही है, तो जिन लोगो को लगता है की दिल्ली के अपने संसाधनों से कमाई होती है वे कृपया इस तरफ भी ध्यान दे, जैसा की मुझे लगता है की केजरीवाल के समर्थक या अनुयायी अब्बल दर्जे झूठे लोग है, कब क्या कह दे पता नही, किसी पर भी आरोप लगा दे बाद में कोर्ट का टाइम ख़राब करते है।


लोकसभा चुनाव के समय केजरीवाल चिल्ला चिल्ला कर कहरहे थे की बीजेपी वाले रूपये दे तो न मत करना ले लेना  हमे ही देना, इसकेबाद दिल्ली पुलिश के लिए भी यही बोला की कोई ठुल्ला रिश्वत मांगे या कोई सरकारी अधिकारी रिश्वत मांगे तो मना मत करना ले लेलेना उसका विडियो बना लेना हमे भेजदेना हम कार्यवाही करेगे, इसके बाद बड़े बड़े होर्डिंग लगे की १ साल इतने कर्मचारी गिरफ्तार इतने बर्खास्त, किसी ने RTI डाल दी, सब झूठ था पता चल गया, इसके बाद केंद्र पर आरोप की राजनीती, की काम नही करने देते, उपराज्यपाल पर आरोप काम में दखल देते है, हमारे पास पुलिस नही है, हमारे पास ACB नही है,MCD काम नही करती, तो क्या इक पढ़े लिखे व्यक्ति को ये नहीं पता की सब के साथ मिलकर काम करना पड़ता है.

अभी पंजाब और गोवा में चुनाव है और केजरीवाल कहरहे है की कोन्ग्रेस्स या बीजेपी वाले रूपये दे तो ले लेना  हमे ही देना, मुझे नही लगता की इस तरह की राजनीती आने वाले समय में नैतिकता का कोई भी स्तर सुरक्षित रख पायेगी, ये कहकर जहा एकओर केजरीवाल पार्टियो पर वोट के बदले नोट का आरोप लगा रही है वही दूसरी तरफ जनता को भी मुफ्तखोरी की सलाह दे रही है, आरोप लगाओ, पर कुछ तो नैतिकता का ध्यान रखो, मान लेता  हूँ की राजनीती में नैतिकता का स्तर ठीक नही रहा काफी समय पर इतना भी नही गिरा था जितना अब गिरा हुआ लगने लगा है, किसी पर भी कोई भी आरोप, ठीक है राजनीती में खींच तान चलती है पर ये स्तर तो लालू यादव, मायावती, मुलायम सिंह और ममता बेनर्जी जैसे लोगो का था जिनको जनता कभी भी सभ्य नहीं मानती थी, और वही अगर केजरीवाल भी करने लगे तो फिर ये किस राजनीती का परिवर्तन करने आये थे, इससे ठीक तो पहले ही थी, लोग आरोप तो किसी आधार पर लगाते थे।

एक इनकम टैक्स अधिकारी को एक सामान्य नागरिक से ज्यादा पता होता है की काले धन पर लगाम लगाने का क्या तरीका होता है, और केंद्र सरकार के पास IRS अधिकारियो की एक लंबी सेना होती है जिसमे कई अधिकारी तो केजरीवाल से वरिष्ठ भी हो सकते है नोटबंदी का काम उनकी ही देखरेख में हुआ था, केजरीवाल खुद कहते थे की मेरे पास ईमानदारी का चन्दा है,  परेशान हो रही है, इसके लिए चिटफंड घोटाले के माँ ममता बेनर्जी के साथ खड़े थे, बिहार चुनाव [बिहार समाचार ] में बीजेपी और मोदी को रोकने के लिए जग प्रसिद्द चारा चोर के साथ खड़े थे, फिर कोई कैसे मान ले की केजरीवाल ईमानदार है, इसका कोई नैतिक चरित्र है, ये भी वैसा ही जैसे बाकि के नेता है, अभी पंजाब चुनाव में बोलकर आये की हमारा मुख्यमंत्री कोई दलित होगा, क्यों होगा, क्या ये जातिवाद की राजनीती नही है, पर केजरीवाल करे तो सही बाकि कोई करे तो गलत, ये हालात है, क्या स्तर कर दिया इसने राजनीती का।

अभी दिल्ली के MCD चुनाव से पहले बोलते है, बीजेपी और कांग्रेस वालो मेरे दिल्ली वाशियो की बिजली मत काटो उनको परेशां मत करे भले ही मेरी बिजली पानी काट दो,  फिर कहते है अगर MCD चुनाव में बीजेपी आयी तो बिजली पानी फिर से महंगे होंगे, अगर  MCD के हाथ में है मंहगा सस्ता करना तो फिर आप कैसे कह सकती है की हमने बिछ्ली हाफ और पानी माफ़ किया, और सबसे धमाकेदार ट्वीट अगर MCD में बजे जीती तो दिल्ली वालो अगर आपको चिकन गुनिअ या डेंगू हुआ तो इसके जिम्मेदार आप होंगे क्यों की अपने बीजेपी को वोट दिया, केजरीवाल जनता काफी हद तक नेताओ की बातो में आ जाती है, पर अब इंटरनेट के ज़माने में आप १९४९ का पैंतरा मत चलाओ जनता अब जग रही है मुफ्तखोरी से आगे बढ़ रही है।  

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