मीडिया पर भरोसा कैसे करे


एक समाचार वाचक की भाषा ही बता देती है कि वो किसी राजनेता का विरोधी है, जैसे विहार में अगर किसी पुलिस वाले से शराब पीकर उत्पन मचाया तो नितीश के विरोधी समाचार वाचक की भाषा और नितीश के समर्थक समाचार वाचक की भाषा कुछ इस तरह से होगी। Read full News here 'कटिहार में मचाया वर्धिधारी ने शराब पीकर उत्पात

नितीश समर्थक समाचार वाचक :- जहा एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार गली गली गांव गांव घूम कर शराबबंदी के समर्थन के लिए लगे हुए है वही एक वर्दीवाले ने किया खाखी वर्दी को शराब पीकर दागदार। [इसमें नितीश कुमार को निहायत ही मेहनती बना दिया और पुलिशवाले को उनके इस महान कार्य में एक धब्बा दिखा दिया ]

नितीश विरोधी समाचार वाचक :- एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार गली गली गांव गांव घूम कर शराबबंदी के समर्थन के लिए लगे हुए है, वही दूसरी तरफ उनके अपने पुलिस कर्मी  उनकी बात नहीं मान कर नशे में धुत्त होकर के शराबबंदी का मजाक बना रहे है, क्यों सारे नियम केवल आम आदमी के लिए ही है, क्या सर्कार की अपने कर्मचारियों पर लगाम लगाने का कोई नियम नहीं है [इस वाक्य में उस पुलिस वाले की गलती के लिए भी नितीश कुमार को ही दोषी बना दिया है और साथ ही शराबबंदी के काम को जनता के साथ मजाक भी साबित करने के पुरजोर कोशिश की गयी है ]

शायद आप समझ गए होंगे की कैसे मीडिया ने नोटबंदी को जनता के खिलाफ एक साजिस बना  दिया, जबकि गलतिया और कमीनापन बैंक और डाक्टरो का था, वहां पर तैनात सुरक्षाकर्मियों  का था।
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