करणी सेना ने संजय लीला भंसाली को क्यों मारा
आजकल मुम्बई के बॉलीवुड कलाकारों और निर्माता निर्देशको को अजीब बीमारी हो गयी है इसमें वो पैसा और प्रसिध्दि पाने के लिए किसी भी हिन्दू मान्यताओ या नायक नायिका को उठा कर उस पर मनोरंजन के नाम पर उसके वास्तिविक अवधारणा या चरित्र के साथ खिलवाड़ करते है, वो ये भी जानते है की इसका विरोध होगा क्योंकि वो मनोरंजन के नाम पर कुछ ऐसे चरित्रों और मान्यताओ का मजाक बनाने जा रहे है, और ही उनकी प्रसिध्दि का मूल मन्त्र है, मीडिया में फिल्म का नाम आएगा, उसका कारन आएगा और बिना किसी खर्चे के प्रचार हो जाता है, और कहते है मनोरंजन के नाम पर।
पर वास्तव में ये मनोरंजन नही है डिजिटल माध्यम में सुरक्षित हमारा इतिहास है जिसे आने वाली पीढ़ी सच मानकर ही हमारे इतिहास के बारे में जानेगे, आज सोचिये जब से मोबाइल और इन्टरनेट के समय में किसी जानकारी के लिए हम क्या प्रिंटेड किताब देखते है, नहीं जी हम इन्टरनेट पर खोजते है, और वहाँ सारे तथ्य अपने हिसाब से तोड़े मरोड़े हुए है, और आने वाले समय में जैसे जैसे तकनिकी आते बढ़ेगी इतिहास के नाम पर हमे हमे इन फिल्मो की क्लिप्स ही मिलेगी असली इतिहास तब भी किताबो में ही होगा, अभी अगर आप गूगल पर रानी पद्मावती सर्च करो तो रानी का कोई भी वास्तविक तैल चित्र नहीं मिलता है वल्कि फिल्मो के किरदार दीखते है,यही इतिहास बन जायेगा, अगर आप नयी पीढ़ी से पूछो की गाँधी (जी) कौन था तो हो सकता है वो बोले वेन किंग्सली, क्योंकि फिल्म में गाँधी (जी) का रोल उन्होंने ही किया था
संजय लीला भंसाली एक ऐसा व्यक्ति है जिसे पैसे कमाने के चक्कर में ये भी सोचना नही आता की क्या गलत है, या यु कहे की जी वर्ग में भंसाली आता है वो वर्ग है ही ऐसा, उसे यही लगता है की जो कुछ वो कर रहे है वो सही है और उसका केसा भी विरोध उनके अधिकारों का हनन और अभ्यक्ति की आजादी का हनन है, ये इसके पहले बाजीराव के किरदार से छेड़छाड़ कर चुके है., बाजीराव शिवाजी के बाद महाराष्ट्र के सबसे साहसी पुरुष थे जिन्होंने मराठो को एकजुट किया, तब भी इनको जुटे पड़े थे, अब इन्होंने वही काम राजस्थान की महारानी पद्मावती के चरित्र से किया है, तो इनका पिटना तो बनता है, क्योंकि आप पैसा कमाने के लिए लोगो की आस्थाओ और मान्यताओ को बदलते हो उनकी गरिमा का मजाक बनाते हो, उनके चरित्र में परिवर्तन करते हो।
इन फिल्मकारों की नियत पर भी पूरा भरोषा नही किया जा सकता, क्या पता इन्होंने खुद पैसे दिए हो करनी सेना बनाने के लिए, क्योंकि करणी सेना को फिल्म की स्क्रिप्ट के बारे में कैसे पता चला, हो सकता है इन्होंने ही उनको उकसाने के लिए अपने किसी कर्मचारी को भेजदिया हो की बता दो ये सीन है इसमें और आकर हमे मारो, हिंदुस्तान आज भी ऐसे उदरवादिओ का देश है जो खुद मर जायेगे पर असहिष्णुता का परिचय नही देंगे, इसलिए देश २ बार गुलाम भी हुआ, और उन के वंसज आज भी उस ज्यादा है जिन्होंने मुघलो के आगे गुटने टेक दिए थे, पर कुछ राणाप्रताप, शिवाजी और अन्य महारथियो के भी है, इसलिए विरोध तो होगा ही।
अब न्यूज़ वाले भी पूछने गए तो इतिहासकार इरफ़ान हबीब से, जबकि जानते है की भला वो पद्मावती के चरित्र को वास्तविक क्यों मानने लगा, ये हुए और अन्य JNU के इतिहासकार जैसे रोमिला थापर इनका तो काम ही है इतिहास को मुघलो की महिमा मंडन से भरना, अगर पूछना ही है तो राजस्थान के संग्राहलय में देखो, वहां की जनता से पूछो, की पद्मावती का क्या चरित्र रहा है।
बॉलीवुड के कुछ लोग आज कानून की दुहाई दे रहे है, पर उनको ये भी सोचना चाहिए की कानून सिर्फ यही क्यों याद आता है, जब मुलसमानों ने Bomby फिल्म के खिलाफ पूरी यूनिट की पिटायी हुयी थी या निकाह फिल्म का नाम बदल दिया गया था [पहले इसका नाम तलाक था और ये मुस्लिमो के ३ तलाक के खिलाफ बनायीं गयी थी] या जब आरक्छन फिल्म और टीवी सीरियल की पूरी स्क्रिप्ट ही दलितों और अनुशुचित जातियो के दबाब में बदल दी गयी थी, तब कानून कहा था, सेंसर बोर्ड तक तो ये पहुच भी नहीं पायी थे, आप एक ऐसे देश में जहाँ आपको भी दूसरे वर्ग के लोगो की आस्थाओ और मान्यताओ का सम्मान करना होगा, अपने फायदे के लिए विवादित काम मत करो।
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