क्या मुँह पर कड़वा बोलने वाला हमेशा आपका शुभचिंतक ही होता है


क्या मुँह पर कड़वा बोलने वाला हमेशा आपका शुभचिंतक ही होता है, आइये इस पर विचार करे, मनुष्य स्वभाव से ही स्वार्थी है, जब वह दूसरे की उन्नति और प्रगति देखता है तो स्वाभाविक रूप से उसको जलन होती है, जब जलन होती है मिलने पर बात करते करते सफल व्यक्ति के प्रति झुंझलाहट में कुछ कड़वे शब्द निकल जाते है, अब इन कड़वे शब्दो की कोई सफाई नहीं होती, जो निकल गया सो निकल गया.

तो एक असफल समुदाय जो की संख्या में सफल व्यक्तियों से काफी कम है ने आपसी सहमति से एक बहुमत के आधार पर निष्कर्ष निकाला की हमारी जले कटे शब्दो से सफल लोग बुरा मान कर हमसे किनारा न कर ले इसलिए इसको ऐसा प्रचारित करो की मुँह पर कड़वा बोलने वाला आपका सबसे करीबी और शुभ चिंतक है, क्योंकि जो बात हम बुरे लहजे और कड़वे या चुभने  वाले शब्दो में कह सकते है वोही बात हम सहज लहजे और सरल शब्दो में कह सकते है.

क्योंकि कड़वा बोलने बाले का उद्देश्य किसी को सही रास्ता दिखाना नही होता बल्कि अँधेरे में तीर चलना होता है [१] अगर चुभने बलि बातो से तुम डर गए और अपने पथ से गिर गए तो उनका उद्देश्य पूरा हो गया और अगर [२] नही गिरे और सफल ही बने रहे तो तुरंत बोलेगे की हमने तुमको जिस बात के लिए आगाह किया था उसका तुमने ध्यान रखा इसलिए गिरे नहीं मतलब चित भी मेरी पट भी मेरी। 

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