देश की राजनीतिक उथलपुथल में मीडिया का हाथ


आज भारत देश की भागम भाग परिस्थतियो में भी लोग दिनभर में उनके क्षेत्र, उनके राज्य और देश विदेश में क्या हुआ ये जानना चाहते है, इसके लिए उनके पास एक ही राष्ट होता है समाचार जो की टीवी रेडियो, इन्टरनेट या फिर अख़बार के रूप में उनको मिलते है, पर उनके पास इतना समय नहीं होता है की इन सबकी विश्वसनीयता को जाँच सके, जो भी समाचार उनको जहा पर दिखा उनके लिए वही सही है, हो सकता है कही वार्तालाप में वो उसीको प्रमाणिक मान कर बहस भी करते हो।

आज मीडिया की क्या समस्या है ये कोई नहीं जानता, मीडिया में समस्या है पैसा, आज जितने भी न्यूज़ चेनल है अख़बार है इन सबमे हजारो लोग काम करते है, करोडो में प्रति महीने पगार दी जाती है, आखिर ये आएगी कहा है, या तो विज्ञापन से आएगी या फिर सहयोग से, देश में अगर सबसे ज्यादा किसी के पास अँधा धन है तो वो है राज नेताओ के पास, उनके इस धन का कोई ऑडिट नहीं है, कोई लिखा पढ़ी नहीं है, किससे कितना लिया, कितना दिया कुछ भी पता नहीं है।

यही नेता लोग अपनी पहुच और धन के हिसाब से अपना कोई एक अख़बार या न्यूज़ चेनल चुन लेते है और फिर पुरे दिन वो न्यूज़ चेनल उनके ही गुणगान गाता रहता है, अब ये सही है या गलत है इससे उनको कोई मतलब नहीं है, बस उनको धन दाता को सही ठहराना है, और बाकियो की भी खबरे दिखानी है अपने समाचार चेनल को समाचार चैनल साबित करने के लिए, पर अन्य लोगो की न्यूज़ इतने गरिमापूर्ण ढंग से नहीं दिखाते है।


अब समस्या आती है आम आदमी के सामने, वो किस समाचार  को सही मानकर चले, दिनभर में उसने किसी एक चेनल को देख लिया, इसके बाद उसका पूरा सोच उसी खबर को सही मान कर बनाता रहेगा, पर क्या जो सोच उसकी बनी है वो सही है, क्या वो खबर सही थी, और वास्तव में यही सोच एक मतदाता बना देती है, आपको किसी नेता के बारे में जो बतायाजा रहा है उसे आप क्रॉस चेक नहीं करते, या तो उसी को सही मानोगे या गलत मानोगे।


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