भारत में अंग्रेज कैसे राज करने में सफल हो गए


 जब अंग्रेज सबसे पहले भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में सिर्फ व्यापर करने आये थे, वो भी ब्रिटेन की साम्राज्ञी के द्वारा ३१ दिसंबर १६०० में, तब यहाँ पर जहांगीर का शासन काल था, उन्होंने जहांगीर से कुछ अधिकार  प्राप्त किये, और अपनी व्यापारिक कोठी बना कर मसालों  का व्यापार करने लगे। फूट डालो और शासन करो

अंग्रेजो ने जहांगीर के बाद शाहजहाँ का शासन काल देखा, उसके द्वारा ताजमहल पर किया जाने बाला खर्चा देखा, औरंगजेब को देखा, शिवजी को देखा, बाजीराव को देखा, गुरु गोविन्द सिंह को देखा, और भी कई महान योद्धाओ को देखा, और भारतीय समाज की, यहाँ की जरूरतों को, यहाँ के लोगो की आंतिरक उड़ानों की, महत्वाकांक्षाओ का बहुत अध्ययन किया, उन्होंने अधययन किया की यहाँ पर हर किसी के अंदर दूसरे के प्रति असंतोष, अविश्वास, और उन्नति से घृणा है, कहने को सब एक है, पर जरा सी बात कर एक दूसरे के प्रतिद्वंदी बन जाते है, एक बार गलत निर्णय लेने पर भी रुकते नहीं है बल्कि सबकुछ लुटा कर भी खत्म कर के भी यही सिद्ध करना चाहते है की वो सही थे, उनका निर्णय सही था बस तुम और परिस्थितिया सही नहीं थी।

अंगेज सबसे पहले सक्रिय राजनीती का हिस्सा बने प्लासी की लड़ाई के बाद, जब उनको लगा की यहाँ के देशी राजा उनको और उनके गेटउप को इतना महत्त्व देते है और सबसे बड़ी बात कोई भी हमारे बारे में ये जानने की कोशिश नहीं करता की कही हम क्रूर या कुटिल तो नहीं है, बस मंत्रमुग्ध से हमारी बाते मानते चले जाते है, भले ही वो उनके हित में हो या न हो। कौन है भारत भाग्य विधाता

उन्होंने देश को मूलतः दो भागो में बाँट कर देखा उत्तर भारत और दक्षिण भारत, और इस विभाजन के लिए उन्होंने समुद्री सीमा का सहारा लिया, मतलब जिस क्षेत्र से समुद्री सीमा शुरू है उसके नीचे का भाग दक्षिण भारत और उसके ऊपर का भाग उत्तर भारत, परन्तु मराठा उनको दोनों ही भागो में दिखे, उन्होंने दोनों ही भागो के त्रिकोणीय संघर्ष देखे।

उत्तर भारत में मुग़ल मराठा और अफगानी लोगो के बीच और दक्षिण भारत में निजाम मराठा और मैसूर राज्य की बीच, उस समय भारत में अंग्रेज, डच और फ़्रांसिसी तीनो ही उपस्थित थे, किसी ने किसी की मदद ली किसी ने किसी की, जो हार गया वो भाग गया, और जो जीत गया उसने इन कंपनियों के भंडार भरने में कसर नहीं छोड़ी, कर माफी से लेकर प्रशासन में दखल तक को सम्मान पूर्वक स्वीकार किया।


अंग्रेजो की सबसे बड़ी शक्ति थी, भारतीयों का एक दूसरे को नीचे दिखाने की प्रवत्ति और इसी के चलते कभी १ उनसे दूसरे के खिलाफ मदद लेता कभी दूसरा पहले की खिलाफ, लोग समझते थे की हम अंगेजो का कठपुतलिओं की तरह इस्तेमाल कर रहे है जबकि वास्तव में अंग्रेज यहाँ के राजा और रियासतों को कठपुतलिओं की तरह नचा रहे थे। फुट डालो और राज करो

जैसे जैसे अंग्रेज यहाँ की पोल पट्टी जानते गए, यहाँ के चुगलखोरो को अपना दास बनाते गए, वैसे ही वैसे उनकी भारत के साम्राज्य पर पकड़ मजबूत होती गयी और फिर एक समय ऐसा आया की सामाजिक प्रतिष्ठा और धनार्जन के लिए यही के लोगो ने यही के लोगो का शोषण किया वो भी सिर्फ अंग्रेजो को अपनी निष्ठा, स्वामिभक्ति और कार्यकुशलता दिखाने के लिए। 

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