क्या नितीश कुमार नरेंद्र मोदी को हटा कर प्रधान मंत्री सकते है?
२०१४ के लोक सभा चुनाव के बाद से भारत देश का वर्ग चिल्लाने लगा था की २०१९ के चुनाव में नरेंद्र मोदी की जगह नितीश कुमार ही प्रधान मंत्री बनेगे, बहुत ही अजीब बात है, २०१४ में जो बन गया है पहले उसका काम तो देख लो, और ये भी देख लो की वो देश की जनता में इतना प्रिय क्यों हो गया।
कानून व्यवस्था की अगर बात करें तो आज भी बिहार में जंगल राज है, देश की किसी भी कोने में बिहार के लोग मिल जायेगे जो दिहाड़ी मजदूरी का काम भी करते है, चोरी चपाती करते हुए भी मिलते है, बिहार में खुले आम कत्ल होते है, रंग दारी मांग ली जाती है, पढ़िए बिहार समाचार और देखिये क्या में झूठ कह रहा हूँ।
अगर आप टेली विजन में धारावाहिक भी देखेंगे तो आप पाएंगे की बहुत से कहानिया गुजरात की और बहुत सी बिहार की दिखाई जाती है, गुजरात की कहानियो में साफ सुथरा प्रतिष्ठित परिवार होता है, सब मिलकर अपना काम करते है, सच्चई और ईमानदारी की बात होती है, प्रेम की बात होती है, वही बिहार में या तो बेरजगारी दिखाई जाती है, या फिर अपराध और लुटम पाट दिखती है, और ये सब कुछ पूरा देश देख रहा है, कुछ शहरों के समाचार पढ़िए जैसे Nawada News, Buxar News, Darbhanga News, Saran News Jamui News, Madhubani News या फिर Bihar Samachar को पढियेगा, आपको लगेगा की जिस प्रदेश का मुख्य मंत्री अपने ही राज्य में कानून व्यवस्था सही रहा है, उससे देशवासी क्या उम्मीद कर सकते है।
उत्तर प्रदेश और बिहार दो ऐसे राज्य थे जिनके वर्तमान मुख्य मंत्री ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए और बीजेपी को हराने के लिए धुर विरोधी दलों के साथ गत बंधन किया था, बिहार में तो बच गयी जिसका पूरा श्रेय जाता है आरक्छन बयान पर और जनता के पिछड़े पण का फायदा उठाने में कामयाब रहे लालू यादव पर और कमाल देखिये, जो नितीश कुमार सत्ता में था उसके दल को सीटें लालू के दल को मिली जो जमानत पर है, चारा चोरी का आरोपी है, चुनाव नहीं लड़ सकता है और सत्ता से ५ साल से दूर है, ये है बिहार की जनता।
भारत में अंग्रेज कैसे राज करने में सफल हो गए
दिल्ली का एक बाकया है जो मेने खुद अपनी आँखों से देखा, एक टेम्पो के आगे रिक्शा बाला कुछ सामान को लाद कर ले जा रहा था, टेम्पो बाला होरन बजा रहा था और रिक्शे बाला विनम्रता से कह रहा था साहब आगे भीड़ है इसलिए सब्र रखो, पता नहीं कैसे टेम्पो बाले के मुँह से निकल गया, बिहारी कही का, उस रिक्शे बाले की विनम्रता गायब और आकर टेम्पो बाले के २ जड़ दिया और बोला की बिहारी किसको बोलै रे, ये अपमान किसी बिहारी व्यक्ति का नहीं है, ये अपमान वह के राजनेताओ का है जो अपनी जेब भरते है और उनके राज्य के युवा लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में भागते है, वो भी ऐसी नौकरियों के लिए जो उस राज्य में भी मिल सकती है। यही हाल उत्तर प्रदेश का भी है।
भारत में दहेज का मनोविज्ञान
नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले गुजरात को इतना समृध्द बनाया की दुनिआ की कोई भी कम्पनी गुजरात में अपना व्यवसाय करने को मना नहीं करती है, तो नितीश जी पहले बिहारी शब्द को सम्मान दिलबाओ फिर मोदी जी की जगह लेने की कोशिश करना।
कानून व्यवस्था की अगर बात करें तो आज भी बिहार में जंगल राज है, देश की किसी भी कोने में बिहार के लोग मिल जायेगे जो दिहाड़ी मजदूरी का काम भी करते है, चोरी चपाती करते हुए भी मिलते है, बिहार में खुले आम कत्ल होते है, रंग दारी मांग ली जाती है, पढ़िए बिहार समाचार और देखिये क्या में झूठ कह रहा हूँ।
अगर आप टेली विजन में धारावाहिक भी देखेंगे तो आप पाएंगे की बहुत से कहानिया गुजरात की और बहुत सी बिहार की दिखाई जाती है, गुजरात की कहानियो में साफ सुथरा प्रतिष्ठित परिवार होता है, सब मिलकर अपना काम करते है, सच्चई और ईमानदारी की बात होती है, प्रेम की बात होती है, वही बिहार में या तो बेरजगारी दिखाई जाती है, या फिर अपराध और लुटम पाट दिखती है, और ये सब कुछ पूरा देश देख रहा है, कुछ शहरों के समाचार पढ़िए जैसे Nawada News, Buxar News, Darbhanga News, Saran News Jamui News, Madhubani News या फिर Bihar Samachar को पढियेगा, आपको लगेगा की जिस प्रदेश का मुख्य मंत्री अपने ही राज्य में कानून व्यवस्था सही रहा है, उससे देशवासी क्या उम्मीद कर सकते है।
उत्तर प्रदेश और बिहार दो ऐसे राज्य थे जिनके वर्तमान मुख्य मंत्री ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए और बीजेपी को हराने के लिए धुर विरोधी दलों के साथ गत बंधन किया था, बिहार में तो बच गयी जिसका पूरा श्रेय जाता है आरक्छन बयान पर और जनता के पिछड़े पण का फायदा उठाने में कामयाब रहे लालू यादव पर और कमाल देखिये, जो नितीश कुमार सत्ता में था उसके दल को सीटें लालू के दल को मिली जो जमानत पर है, चारा चोरी का आरोपी है, चुनाव नहीं लड़ सकता है और सत्ता से ५ साल से दूर है, ये है बिहार की जनता।
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दिल्ली का एक बाकया है जो मेने खुद अपनी आँखों से देखा, एक टेम्पो के आगे रिक्शा बाला कुछ सामान को लाद कर ले जा रहा था, टेम्पो बाला होरन बजा रहा था और रिक्शे बाला विनम्रता से कह रहा था साहब आगे भीड़ है इसलिए सब्र रखो, पता नहीं कैसे टेम्पो बाले के मुँह से निकल गया, बिहारी कही का, उस रिक्शे बाले की विनम्रता गायब और आकर टेम्पो बाले के २ जड़ दिया और बोला की बिहारी किसको बोलै रे, ये अपमान किसी बिहारी व्यक्ति का नहीं है, ये अपमान वह के राजनेताओ का है जो अपनी जेब भरते है और उनके राज्य के युवा लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में भागते है, वो भी ऐसी नौकरियों के लिए जो उस राज्य में भी मिल सकती है। यही हाल उत्तर प्रदेश का भी है।
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नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले गुजरात को इतना समृध्द बनाया की दुनिआ की कोई भी कम्पनी गुजरात में अपना व्यवसाय करने को मना नहीं करती है, तो नितीश जी पहले बिहारी शब्द को सम्मान दिलबाओ फिर मोदी जी की जगह लेने की कोशिश करना।
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