परिवार क्या है ?
परिवार क्या है ? शायद ये प्रश्न कभी आपके दिमाग में तब नहीं आया होगा जब परिवार होगा, है जब होकर भी नहीं होगा तब एकबार आप जरूर सोचेंगे की परिवार क्या है, क्या सिर्फ रिश्तो का होना परिवार था या रिश्ता होना परिवार है, निःसंदेह आपके पिता, माता भाई या बहिन कहे की हम है लेकिन अगर आपको उनके होने की अनुभूति नहीं हो रही या उनको आपकी संवेदनाये नहीं दिखती तो रिश्ते तो है पर रिश्ता नहीं है।
आप सोचेंगे की रिश्ता होना और रिश्तो का होने एक ही तो बात है, शायद आप इतनी गहराई से नहीं सोच पाए इसलिए बताये देता हूँ, आप अपने घर के सदस्यों से बात कर रहे हो और वो पूछ रहा हो और बताओ क्या चल रहा, कैसा चल रहा है, स्वास्थ ठीक है इत्यादि इत्यादि तो ये निशानी है की आपके कुछ रिश्तेदार है।
अब बात करते है रिश्ते है, रिश्ता तब नजर आता है जब आप अपने पिता के साथ बाजार जा रहे हो और आप बार बार किसी वस्तु को देख रहे हो परन्तु पिता की आर्थिक स्थिति जानते हुए आप उनसे कहते नहीं लेकिन अपने जन्म दिन पर आपके पिता वही वस्तु देते है, ये रिश्ता है।
आप किसी बात से नाराज है और खाना नहीं खा रहे लेकिन आपकी माँ खाना लेकर आपको खिलाने लगी है ये रिश्ता है, क्युकी आप खाना न खाने की बात इसलिए बोल रहे है क्युकी आपको पता है की मेरी माँ मुझे बिना खिलाये नहीं मानेगी न की इसलिए की आपको भूखे रहने का शौक है, तो ये रिश्ता है जो आपको भूखा नहीं रहने देता।
आपके घर पर कोई आया और उसने आपको १ टॉफ़ी दी और आपके भाई को २ टॉफी दी, आपने गुस्से में १ टॉफी भी फेक दी, क्युकी आपको पता है, की आपका भाई वो टॉफी के साथ एक अपनी टॉफी भी आपको ये कहते हुए दे देगा की भैया गुस्सा क्यों होते है, में १ खा लेता हूँ आप दो खा लो, ये होता है रिश्ता।
आप अपनी बहिन को बोलते हो किसी काम की और बहिन मना करदेती है, आप उसकी सहेली से उसकी शिकायत करते हो और यहाँ तक बोल देते हो की आज से आप मेरी बहिन बन जाओ और आपकी बहिन आपको एक चपत लगा कर कहती है की इस जन्म में तो तेरी बहिन मै ही रहूगी, ये होता है रिश्ता।
आपकी बहिन को कुछ ऐसा सामान चाहिए जो वो खुद नहीं ले सकती न ही माँ को बोल सकती है लेकिन कैसे भी आपको पता चल जाता है, इसके बाद आप मिले हुए पैसो को इकठ्ठा करके अपनी बहिन के लिए बिना मांगे वो चीज ला देते है, होता रिश्ता।
आपके पिता बार बार अपने दोस्त के बेटे की तारीफ करते है ये कहते है उसका बेटा १स्ट आया है, और हमे बड़ी शर्म आती है, अब अपने बेटे की टूशन नहीं लगवा सकते पता नहीं ये कैसे पढ़ेगा, सुनकर आप जी जान से पढ़कर 1st आते है अपने पिता के लिए ये होता है रिश्ता।
किसी दिन घर के काम से माँ थकी होती है और घर में कुछ बना नहीं होता और आप माँ के बिना कहे ही कुछ बना कर सबसे पहले माँ को खिलाते है जिसे खाकर माँ आपको गले से लगाती है, ये होता है रिश्ता।
और जब रिश्ते में एकदूसरे को बिना कहे समझने की शक्ति खत्म हो जाती है तो फिर वो परिवार नहीं सिर्फ भार जाता है।
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