इस्लामिक आतंकवाद
इस्लामिक आतंकवाद को दुनियाभर के बुद्धिवादी और उदारवादी किन्तु सशक्त जनसमुदाय ने कुछ भटके हुए नवजवानो का कृत्य बता कर पीड़ित समुदाय के लोगो को सदैव शांत करने की न केवल कोशिश की वल्कि पूरी तरह सफल भी हुए है, परमेश्वर जाने इस तरह की सोच विचार और अभिव्यक्ति के पीछे इन बुद्धिवादीओ की क्या भावना है, लेकिन इनके इस काम ने इस्लामिक आतंकवाद को एक बहुत ही सशक्त सहारा दिया की तुम जो चाहे करो न तो तुमको कोई खतरा है और न ही तुम्हारे धर्म को मानने वालो को।
क्युकी इस्लामिक आतंकवादी जिन निर्दोष लोगो को नित्य प्रतिदिन मारते है उनका दोष सिर्फ इतना है की वे गैर इस्लामिक है, किसी भी समुदाय के बढ़ने के दो कारण होते है [१] अपनी जनंसख्या नित्य निरंतर बढ़ाते रहो [२] बाकि जनसमुदाय को खत्म करते रहो, तो पहला काम बहुत होशियारी से किया जा रहा है, आजादी के समय जितनी जनसख्या ने पाकिस्तान बना लिया था आज उतनी ही इस्लामिक आबादी फिर से एक नए देश के लिए मुँह खोले खड़ी है, आपको मेरी बात बुरी लगे तो किसी भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में अपने घर में निडर होकर सुन्दर कांड या हनुमान चालीसा का पाठ करके देखिएगा, और ईमानदारी से सिर्फ इतना बता देना की मेने बिना डरे हुए किया, कश्मीर, कैराना, केरल के बहुत से क्षेत्र और देवबंद ये सब इसकी कहानी बताते है।
में दिल्ली में रहता हूँ, और जब कभी भी मुस्लिम क्षेत्र से निकलता हूँ तो एक अजीब सा डर लगता है, ये उसी तरह का है जो अमीरखान और नशीररूद्दीन शाह को मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर लग रहा है.
तो जो इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ा रहे है उनको पूरा भरोषा है की उदारवादी वर्ग पीड़ित समुदाय को ये समझाने में जरूर सफ्रल हो जायेगे और हमारे धर्म को मानने वाले दुनिआ के किसी भी कोने में हो उनको कोई हाथ भी नहीं लगाएगा, और अगर लगा भी दिया तो ये बुध्दिवादी वर्ग उसको इस्लामिक नफरत का नाम देकर हाथ लगाने वाले को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएंगे, और इस तरह से हमारे दुश्मन को यही लोग खत्म कर देंगे और हम बस गैर इस्लामिक लोगो को खत्म करके पूरी दुनिआ में गजवा करते रहे।
दुनियाभर में इस्लामिक आतंकवादी अपने संगठन बनाते है, अजीव अजीव नाम देते है, आधुनिक तकनिकी और हथियार का प्रयोग करते है, ये सब कौन देता है, कहा से इनको ऐसा करने का साहस आता है, ये सब साहस उनके अपने लोग उनकी धर्म के नाम पर सहायता करके देते है, और बुद्धिक वर्ग बाहर से सहायता करके उनको इस्लामिक आतंकवादी के नाम ब्रांड होने बचा लेते है, जबकि भारत में समाचार में आपको बड़ी जल्दी सुनने को मिल जायेगा हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद हिंदुत्व का आतंक, लेकिन कभी भी इस्लामिक आतंकवाद या मुस्लिम आतंकवाद सुनने को किसी समाचार संस्था द्वारा नहीं मिलेगा।
क्युकी इस्लामिक आतंकवादी जिन निर्दोष लोगो को नित्य प्रतिदिन मारते है उनका दोष सिर्फ इतना है की वे गैर इस्लामिक है, किसी भी समुदाय के बढ़ने के दो कारण होते है [१] अपनी जनंसख्या नित्य निरंतर बढ़ाते रहो [२] बाकि जनसमुदाय को खत्म करते रहो, तो पहला काम बहुत होशियारी से किया जा रहा है, आजादी के समय जितनी जनसख्या ने पाकिस्तान बना लिया था आज उतनी ही इस्लामिक आबादी फिर से एक नए देश के लिए मुँह खोले खड़ी है, आपको मेरी बात बुरी लगे तो किसी भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में अपने घर में निडर होकर सुन्दर कांड या हनुमान चालीसा का पाठ करके देखिएगा, और ईमानदारी से सिर्फ इतना बता देना की मेने बिना डरे हुए किया, कश्मीर, कैराना, केरल के बहुत से क्षेत्र और देवबंद ये सब इसकी कहानी बताते है।
में दिल्ली में रहता हूँ, और जब कभी भी मुस्लिम क्षेत्र से निकलता हूँ तो एक अजीब सा डर लगता है, ये उसी तरह का है जो अमीरखान और नशीररूद्दीन शाह को मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर लग रहा है.
तो जो इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ा रहे है उनको पूरा भरोषा है की उदारवादी वर्ग पीड़ित समुदाय को ये समझाने में जरूर सफ्रल हो जायेगे और हमारे धर्म को मानने वाले दुनिआ के किसी भी कोने में हो उनको कोई हाथ भी नहीं लगाएगा, और अगर लगा भी दिया तो ये बुध्दिवादी वर्ग उसको इस्लामिक नफरत का नाम देकर हाथ लगाने वाले को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएंगे, और इस तरह से हमारे दुश्मन को यही लोग खत्म कर देंगे और हम बस गैर इस्लामिक लोगो को खत्म करके पूरी दुनिआ में गजवा करते रहे।
दुनियाभर में इस्लामिक आतंकवादी अपने संगठन बनाते है, अजीव अजीव नाम देते है, आधुनिक तकनिकी और हथियार का प्रयोग करते है, ये सब कौन देता है, कहा से इनको ऐसा करने का साहस आता है, ये सब साहस उनके अपने लोग उनकी धर्म के नाम पर सहायता करके देते है, और बुद्धिक वर्ग बाहर से सहायता करके उनको इस्लामिक आतंकवादी के नाम ब्रांड होने बचा लेते है, जबकि भारत में समाचार में आपको बड़ी जल्दी सुनने को मिल जायेगा हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद हिंदुत्व का आतंक, लेकिन कभी भी इस्लामिक आतंकवाद या मुस्लिम आतंकवाद सुनने को किसी समाचार संस्था द्वारा नहीं मिलेगा।
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