मोदी की मुश्किलें बढ़ा रहा है विपक्ष
नरेंद्र मोदी एक बहुत लम्बे समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे, पुरे कार्यकाल में अपने बेदाग चरित्र और हिन्दुओ के संरक्षक के रूप में प्रसिद्द रहे या यु कहे की वो सिर्फ हिंदी हितो का ही ध्यान रखते है ऐसे नरेटिव सेट किये गए, जबकि आप निष्पक्ष से देखेंगे तो पाएंगे की उनके सभी कर्म सभी जनो के लिए है, जाती और धर्म के भेदभाव से परे।
बस उनमे एक ही ज़िद है की भारत देश का गौरव ऊँचा रहे भले ही उसके लिए उनको व्यक्तिगत रूप से कोई भी कीमत चुकानी पड़ जाय, दूसरे उनके मन में राजनैतिक रूप से उपेक्षित हिन्दुओ के लिए कुछ दया भाव है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है की अन्य धर्मो के लोगो से कोई घृणा या द्वेष है, जबकि एक खास वर्ग को उनसे बड़ी नफरत है।
वर्तमान का विपक्ष और इसका वोटबैंक
अब हम थोड़ा वर्तमान के विपक्ष का चरित्र चित्रण करना चाहेंगे, वर्तमान का विपक्ष भूतकाल का सत्ता सीन समाज था जिसने राजतंत्र को अपनी जागीर मान लिया था, और जनता को मुफ्त की चीजे बाँट कर, शिक्षा और स्वास्थ का स्तर नीचे रख कर, जातिवाद और अपराध को बेलगाम छोड़कर भारत की जनता को एक चक्रवियूह के फंसाये रखा था, जिसके कारण उनका वोटबैंक उनके ही आश्रित हो गया था।
यहाँ हमने जानबूझकर वोटबैंक को राजनेताओ के आश्रित इसलिए कहा क्युकी उनके पास शिक्षा और रोजगार के अवसर बहुत संकुचित थे इसलिए पुरे पांच साल उनको यही लोग मुफ्त का रासन पानी देंगे इस सोच ने वास्तव में उनको बंधुआ वोटबैंक बना दिया था, और ये वोटबैंक १९५० इसी हालत में है, जो निकल गए वो वोट डालने भी नहीं गए, और मुफ्तखोरी से ग्रामीण ही नहीं पढ़े लिखे लोग भी प्रभावित हो जाते है, आप चाहे तो दिल्ली में इसकी सत्यता परख सकते है।
मोदी जी का वोटबैंक
एक बहुत लम्बे समय से देखा गया है की जब भी देश में वोटिंग का प्रतिशत बढ़ता है तो भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधि जीत जाते है, अब इस बढे हुए वोट प्रतिशत में कौन कौन से लोग आते है वो बताते है :
१- शिक्षित युवा वर्ग - शिक्षा में गुणवत्ता और बढ़ी हुए फीस से परेशान
२- सवर्ण जाति की महिलाये - दैनिक जीवन के सामान पर मेह्गाई से त्रस्त होकर और सुरक्षा
३- सवर्ण जाति के पुरुष - अपने बच्चो के भविस्य को सुधारे जाने की उम्मीद से
४- काम काजी वर्ग - टेक्स और मेह्गाई से निजात पाने के लिए
५- उद्द्मी वर्ग के लोग - व्यापर में उन्नति के लिए, उचित कर का निर्धारण हेतु
६- शिक्षित किन्तु बेरोजगार वर्ग - जातिगत आरक्षण और सवर्णो के शोषण से त्रस्त होकर
७ - जाग्रत हिन्दू - जिसे दिख रहा है की एक वर्ग अपनी आबादी बढ़ा रहा है और धीरे धीरे संसाधनों पर हक लेता जा रहा है।
८- जवान और किसान - जवान देश की रक्षा में सर्वस्व न्योछावर करते है, लेकिन उनको संसाधन कम मिलते है, किसानो का दलालो और बैंको में व्याज के कारण शोषण होता है इसलिए उसे भी न्याय चाहिए, क्युकी उसको दाम कम मिलते है जबकि बाजार में मंहगाई है।
विपक्ष का गहरा षड्यंत्र
जब विपक्ष ने २०१४ में मोदी जी की भयंकर जीत देखि तो मंथन किया की क्या कारण था, सभी दलों ने मंथन किया और पाया की जो लोग कभी वोट डालने घर से नहीं निकले वो भी निकल आये है और ये जीत इसी कारण हुयी है जैसे २००४ में वोटिंग प्रतिशत 58.7, २००९ में 58.21, और अब देखिये २०१४ में 66.44 फिर २०१९ में 67.40 तो ये जो १० से १२ % का बढ़ा हुआ वोट यही विपक्ष को खटक गया, तो इसके लिए बहुत से षड्यंत्र किये जैसे :
१- बीजेपी यानि भारतीय जुमला पार्टी - अब किसी सभा में १५००० रूपये पर अमित शाह ने कह दिया वो एक जुमला था, यानि के बात ये थी की एक सभा में मोदी जी ने काले धन पर बात करते हुए कहा की देश का काला धन इतना बहार है की अगर आ जाए (ईमादारी से) तो देश के हर नागरिक को लगभग १५ लाख रूपये मिल जायेगे, वैसे इस बात के बाद विदेशो से लोगो ने अपना धन निकाल कर अन्य जगह निवेश करना शुरू क्र दिया, क्युकी ये वास्तव में इशारा था की सरकार बनेगी तो काले धन वालो पर नकेल भी कसी जाएगी, और जो लोग विदेश में पैसा रख रहे है वो हम आपकी तरह छोटी पहुंच के लोग तो है नहीं, उनकी पहुंच बहुत ऊपर, और इस बात को लेकर विपक्ष ने व्यापारी वर्ग को डरा दिया और नॉट बंदी ने इसे और हवा देदी ।
२- GST यानि गब्बर सिंह टेक्स - जब कुछ समय जब GST आया तो विपक्ष ने इसे गब्बर सिंह टेक्स करार दिया, इनके लोकल इकाई के लोगो ने व्यापारिओं को भड़काना शुरू किया की सोचिये पहले पास १० रूपये में चीज बेचते थे अब १३ में बेचनी पड़ेगी क्युकी बिल देना है तो ग्राहक भी कम होंगे और व्यापर में घाटा होगा,ऐसे करके धीरे धीरे व्यापारिओं को भड़काया, लेकिन वास्तव में देखा जाए तो पहले के अनजाने टेक्स जो शायद GST से ज्यादा ही पड़ते होंगे की तुलना में GST कम और स्पस्ट है, इसमें भी समय समय पर बहुत छूट दी गयी, और इसी बात से माध्यम वर्गीय लोगो भी डरा दिया की पहले आप १० रूपये का सामान लेते थे अब १३ का लेना पड़ेगा, तो मेह्गाई से कहा बचे आप ।
३- अंध भक्त और मोदियाविंद - इन सब बकवास को नजरंदाज करते हुए एक वर्ग ईमानदारी से मोदी के साथ देश के उज्जवल भविस्य के लिए खड़ा था और है, तो न्य पैंतरा अपनाया उसके स्वाभिमान को चोट पहुंचाने का, आप किसी से कितना भी प्रेम करते हो लेकिन अगर कोई आपको उसका दास, सेवक, पिछलग्गू, या फिर भक्त या अंधभक्त कहेगा तो आपके स्वाभिमान को एकदम से नहीं लेकिन धीरे धीरे चोट लगना शुरू हो जाएगी और एक घुटन सी होने लगेगी, लेकिन विपक्ष का ये पैंतरा भी फ़ैल हो क्या क्युकी मोदी समर्थको के इसका जबाबा बहुत करारा दिया और विपक्ष के हथकंडे फिर फ़ैल हुए।
४- नोटा का सोटा - जब ये सारे हथकंडे फ़ैल होते दिखे तो विपक्ष का एक वर्ग अंदरूनी तौर पर ऐसे लोगो को उकसाने लगा है की मोदी जी सत्ता में आने के बाद हिन्दुओ से ज्यादा गैर हिन्दुओ के हिमायती है, सवर्णो से ज्यादा गैर सवर्णो के है, मध्यम वर्गीय जनता और छोटे व्यापारिओं से ज्यादा बड़े बड़े उद्दोगपतिओं के हिमायती है, तो इसबार बीजेपी को सबक सिखाने के नोटा दबाएंगे, अब नोटा दबाने वालो का वोट १२ से १४ प्रतिशत होगा लेकिन ये वोटिंग का प्रतिशत फिर से ६० के अंदर ले आएगा जिससे पहले की तरह गैर बीजेपी की सरकार बन सकती है, लेकिन जमीनी स्तर पर हमे रोकना होगा इस नोटा की तरफ रुझान करती हुयी जनता को।
तो इस प्रकार हम देख सकते है, जब भी भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आती है, कुत्तो के तरह लड़ने वाला विपक्ष एकजुट होकर बीजेपी को हराने में लग जाता है, क्युकी यही वो पार्टी है जो भारत को समृद्ध और भारतीओं को सक्षम बनाने का प्रयास करती है, और एक पढ़ा लिखा जागरूक व्यक्ति कभी मुफ्तखोरी पर वोट नहीं देगा क्युकी उसे पता होगा की जो मुफ्त दिया जा रहा है उसका पैसा उसी से किसी अन्य माध्यम से लिया जायेगा, न केवल लिया जायेगा वल्कि भरस्टाचार भी होगा।
तो वोट देने से पहले देश को कैसे समृद्ध बना सकते है इस पर विचार करियेगा, और कौन सी पार्टी इस सपने को पूरा कर सकती है।
वन्दे मातरम ! भारत माता की जय !!
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वंदे मातरम
भारत माता की जय🙏