हमे गुस्सा क्यों आता है

 हम अक्सर अपने आस पास के लोगो से सुनते है की इसको बहुत गुस्सा आता, वो बहुत गुस्सा करता, इसे बात बात पर गुस्सा आता है, ये दिनभर गुस्से में रहता है बगैरह बगैरह सुनने को मिलता है, और सच तो ये है की दुनिआ में कोई भी व्यक्ति बिना गुस्सा किये रह नहीं सकता है, क्युकी गुस्सा हमारे जीवन का अंग है, वास्तव में जब हम गुस्सा होते है तो सबसे ज्यादा एकाग्र होते है, ये बात शायद बहुत ही कम लोगो को पता होगी, गुस्से में हमारे एकाग्रता सबसे ज्यादा होती है और उस समय दिल, दिमाग और जबान तीनो एकदूसरे के साथ सबसे बेहतर तालमेल में होते है, यही कारण है इस बात को हम सामान्यतया नहीं समझा पाते है वो गुस्से में सामने वाले को बड़ी आसानी से समझ में आ जाती है, अब सवाल ये उठता है की लोग गुस्सा क्यों करते है, वो करते है या आ जाती है, ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु है। 

गुस्से आने का कारण 

जब हम सुबह उठते है तो हमारा दिमाग पुरे दिन का न एक रोड मेप बना देता है, और कई बार ये हमे पता नहीं होता है, जैसे उठने के बाद हम ये करेंगे वो करेंगे, इससे मिलेंगे उससे मिलेंगे, अब अचानक से हमे पता चला की हमारी कार का पहिया पंचर हो गया तो हमको सबसे पहले गुस्सा आएगा, फिर हम उस गुस्से को कही निकालेंगे भले ही टायर को एक लात मार कर बोले की इसे भी आज अभी ही पंचर होना था, और जैसे ही गुस्सा निकलता है हमे हल भी दिखने लगते है पहला खुद स्टपनी बदल दे या फिर किसी मैकेनिक को बुलाये, लेकिन इन ३० से ५० सेकंड में हमको गुस्सा जरूर आएगा, अब सवाल ये उठता है की जब इसका हल इतना आसान था तो गुस्सा क्यों आया, इसे आप ऐसे समझिये की आप घर में अकेले है और रात का समय है और लाइट चली गयी, तो तत्काल आपको दिखना बंद हो जायेगा, लेकिन २० से ४० सेकंड में धीरे धीरे आपको सब दिखने लगेंगे, लेकिन वो २० से ४० सेकंड आपको परेशान कर देंगे लेकिन जब दुबारा लाइट जाएगी तो आप इतने परेशान नहीं होंगे अगर आपका दिमाग पिछली घटना से कुछ सीख पाया। 



तो गुस्सा आने का मुख्य कारण है हमे अपनी समस्या समाधान की शक्ति का पता न होना, हमे ऐसा लगना की सब खत्म, अब हम कुछ नहीं है, जिसकी बजह से हम कुछ थे वो खत्म और हम निष्प्राण और निश्तेज हो गए, तो सबसे पहले हमे हर स्थिति में ये याद रखना चाहिए की अगर समस्या है तो उसका समाधान भी होगा, बस मन को एकाग्र करके सोचना है की क्या हल हो सकता है। 

हमे गुस्सा किसके ऊपर आता है 

ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है, क्युकी हम सबके ऊपर गुस्सा नहीं कर सकते है, या अगर आता भी है तो छुपा लेते है, ये क्षमता है हमारे दिमाग में, उसे पता है किस पर गुस्सा करने से तत्काल नुकशान है और किस पर गुस्सा करने से कोई नुकशान नहीं है और किस पर गुस्सा करने से उसके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, जैसे हम जब किसी ऑफिस के अंदर काम के लिए जाते है और उसको करने वाला काम न करके उसे टालता है तो हमे अंदर से गुस्सा आता है लेकिन हमारा दिमाग हमे रोक लेता है की गुस्सा किया तो काम ख़राब हो जायेगा, लेकिन अगले ही पल आपको पता चलता है की जिससे आप इतने विनम्र होकर बात कर रहे है उसके हाथ में कुछ नहीं है, अब ऑटोमेटिक है बस प्रोसेस आपको ऑनलाइन पूरा करना है, तो ऐसा होते ही आप उसके ऊपर अपनी भड़ास निकाल देंगे क्युकी आपको पता है ये आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकता है। 

इसके अलाबा हमे गुस्सा उनके ऊपर आता है जो हमारे इतने करीब होते है की हमे उम्मीद होती है की वो हमारे बिना बोले ही हमे समझ जायेगे या अगर हमे परेशान है तो हमसे प्रेम से बोलेगे हमारा दर्द बांटेगे, और किसी कारण से जब ये हमारे अपने हमे नहीं समझ पाते है तो हमे घनघोर गुस्सा आता है, और हम समान तोड़ सकते है, खाना नहीं खायेगे ऐसा बोल देते है, क्युकी दिमाग हमे कहि न कहि हवा दे रहा होता है की ये तेरे अपने है तुझे १०० बार मनाएंगे और तुझे खाना खिलाये बिना खुद नहीं खायेगे, और तेरा बुरा तो ये सोच भी नहीं सकते है, ये हवा इतनी सॉलिड अकड़ देती है हमे की हमे परवाह नहीं होती की हम सही गुस्सा हो रहे है या गलत, और ऐसे में अगर घर के सदस्य न मनाये और खुद खाना खा ले तो दुःख, घृणा और बेगानापन पनपने लगता है जो आगे चलकर हमे सबसे दूर कर देता है। 

गुस्से से कैसे बचे 

बहुत से लोग इस प्रश्न का अपने अपने तरीके से हल बताते है, लेकिन वास्तव में गुस्से से बच कोई नहीं सकता है, हा इतना जरूर होता है की आप गुस्से को अपने नियंत्रण में कर बजाये आप गुस्से के नियंत्रण में जाने के, और इसमें हमारे दिमाग की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, जैसे कई बार हमे गुस्सा आया और कोई सामान तोड़ दिया, लेकिन अगले २० सेकंड में हमे अहसास भी हो गया की हमने नुकशान कर दिया, बस तो दिमाग को इतना ट्रेंड करना है की घटना घटने से पहले नुकशान का आंकलन करके हमे गुस्से के अधीन होने से पहले गुस्से को हमारे अधीन कर दे, क्युकी हमने आपको शुरू में बताया था की दिमाग पुरे दिन का ही नहीं हर घटना का भी हर बार एक इकोसिस्टम बना कर चलता है, की किस पर गुस्सा करनी है किस पर नहीं करनी है, कितनी करनी और कितनी देर करनी है। 

कुछ लोगो को बात बात पर गुस्सा आता है, क्यों ?

कुछ नहीं बहुत से लोग है, इसके कई कारण हो सकते है, लेकिन सबसे सही जो मुझे लगता है की हमारा दिमाग हमसे खेल रहा होता है, मतलब हमे हमारा दिमाग नियंत्रित क्र रहा होता है, वो एक इकोसिस्टम बना कर हमे दिखा देता है, और डर बैठा देता है की अगर ये ऐसे नहीं हुआ तो आपका अस्तित्व खतरे में है, जैसे आपने कहा चाय पिने का मन है और दूसरे ने बोल दिया नहीं कॉफी, तो यहाँ गुस्सा आ जायेगा क्युकी आपका दिमाग आपको डरा देगा की अगर आज कॉफ़ी बन गयी तो आपकी कद्र कम है, तो ये एक छोटा उदाहरण है, ऐसे ही कई कारण होंगे की किसी ने आपकी बात नहीं मानी, बात काट दी, आपकी कार पार्किंग में अपनी कार लगा दी इत्यादि इत्यदि। 

बात बात पर आने वाली गुस्सा से कैसे बचे 

जैसा की हमने बताया की दिमाग एक इकोसिस्टम डवलप करता है, जिसमे वो हमे हमारे अस्तित्व के प्रति संवेदनशील बना देता है, साथ ही हमे ये भी अहसास दिला देता है की अगर इससे अलग कुछ हुआ तो में यानि दिमाग संभाल नहीं पायुगा और सबसे सुलभ मार्ग ये है गुस्सा करके चिल्ला कर मामला जल्दी खत्म करो क्युकी मेरे पास इतनी ऊर्जा नहीं है की ज्यादा देर तक बहस कर सकू या किसी बात समझ या समझा ससकू, लेकिन वास्तव यहाँ हमारा दिमाग खेल रहा होता है हमसे, हमारे पास अगर गुस्सा होने की क्षमता है तो समझ लो ऊर्जा है की हम समझ भी सके और समझा भी सके, लेकिन उसके पहले हमे अपना नियंतृण दिमाग पर करना होगा जिससे ये घबरा कर हमे व्याकुल और आशाहीन न कर दे, रस्ते बहुत है लेकिन दिखेंगे तभी जब हम निकलेंगे। 

दिमाग पर नियंत्रण कैसे करे 

बहुत आसान है, आप दिमाग को किसी न किसी सकारत्मक काम ले लगाए रहो, जैसे पढ़ते रहो, योगा करो, व्यायायम करो, पजल सॉल्व करो, कुल मिलाकर दिमाग को अपना कारिंदा समझ कर किसी न किसी काम में लगाए रखो, और साथ ही बोलने की प्रैक्टिस करते रहो जिससे आपको विस्वास हो जाए की आप बोल कर समझा सकते हो, क्युकी कई बार दिमाग ये भी पाशा फेकता है की आपके अंदर ज्यादा बोलने की ऊर्जा नहीं है, आपकी आवाज फट जाएगी इसलिए बेहतर है गुस्सा करो और घंटो का काम मिनटों में निपटाओ  

Comments

Bahut sundar wachan.
Aap likhate bhi bahut sahi hai.
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धन्यवाद रागिनी जी
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