क्या था आरक्षण का उद्देश्य और कहाँ पहुँचे हम ?

 अभी अभी समाचार में देखा और पाया की इतनी जातियों को OBC श्रेणी से निकाल कर SC श्रेणी में डाला जायेगा, यानि अगर आर्थिक और सामाजिक पिछड़ापन OBC के लिए 40% है तो SC के लिए 20 % है, यानि की पहले से बुरी स्थिति में पहुंच गयी है ये जातियाँ, आखिर क्यों पहुंच गयी है इसका कोई सर्वे होना चाहिए, क्युकी आरक्षण आज समाज में समरसता लाने वाला कार्य नहीं कर रहा है, वल्कि द्वेष और भेदभाव बढ़ने का कारण बन रहा है जिसकी कल्पना हमारे संविधान निर्माताओं ने नहीं की होगी।  


जब आरक्षण लागू हुआ था तो १० वर्ष के लिए था और सोच ये थी की सरकारी नौकरी और शिक्षा प्राप्ति के बाद लोग अपने सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन से मुक्ति पायेगे, लेकिन पहले ही दशक में इसको राजनीती से जोड़कर १० साल के लिए और बढ़ाया गया क्युकी नेहरू जी को लगा की इसको हटाने से वोट बैंक खिसक सकता है, और उस समय उनके दिमाग में सिर्फ सत्ता के लिए प्रस्यास था जिसमे देश हित दूर दूर तक नहीं था, कहने वाले कह सकते है की अभी तक उनका सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन दूर नहीं हुआ था इसलिए नेहरू जी बढ़ाये थे, तो वो तो आजतक नहीं हुआ और होगा भी नहीं, खैर इसबात को आगे बढ़ायेगे। 

तो बात करते है जिस समय लागु हुआ था उस समय जिन जातियों को जोड़ा गया होगा जरूर किसी सर्वे के अंतर्गत जोड़ा गया होगा की ये जातियाँ आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी है, यानि की बाकी उस समय आर्थिक और सामाजिक रूप से सही रही होगी ? या नहीं ?, बिलकुल सही रही होगी नहीं तो उनको भी जोड़ा जाता। 

लेकिन २ दशक बाद ही ४० और जातियों को आरक्षण वाली लिस्ट में जोड़ा गया, जिस समय जोड़ा गया होगा सर्वे हुआ होगा ? लेकिन ये सर्वे भी तो होना चाहिए था की पहले आर्थिक और सामाजिक रूप से सही जातीया पिछड़ कैसे गयी ? और ३ दशक में कोई भी सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन की दीवार फांद कर सामान्य क्यों नहीं बना ? क्या जिनको एकबार लाभ मिला वो ही बार बार लेकर पिछड़ेपन के सारे लाभ खुद तक ही रोक रहे है ? इसका भी सर्वे होना चाइये था। 

क्युकी तत्कालीन बुद्धिजीविओ का ये तो उद्देस्य होगा नहीं की समाज में समान्तर समाज चले, उनका उद्देस्य होगा की सने सने सब मुख्य धारा में शामिल होकर देश की उन्नति में भागीदार बने न की एक वर्ग के टेक्स  के धन से मौज उड़ाए, यानी की इस उद्देस्य में कहाँ तक सफल हुए इसका भी सर्वे होना ही चाइये था। 

फिर आया मंडल आयोग इसने कई और जातियों पर पिछड़ेपन की मोहर लगा दी, जरूर कोई सर्वे किया होगा की पिछड़े है सामाजिक और आर्थिक रूप, लेकिन ये सर्वे क्यों नहीं हुआ की ये पहले ठीक  पिछड़ कैसे गए ? कहि आरक्षण हमे और हमारे विकास मार्ग को उलटी तरफ तो नहीं ले जा रहा है , ये सोच और सर्वे होना चाहिए था। 

आरक्षण देने का विचार इसलिए आया था की सभी वर्ग, सभी जाति और सभी क्षेत्र के लोगो को अवसर मिले और एक समय के बाद सब समान हो जाए, ये एक टेम्परेरी व्यवस्था जिसे परमानेंट जाति के साथ जोड़कर बपौती बना दिया है, आजतक ये सर्वे क्यों नहीं हुआ की कितने लोगो ने एक से ज्यादा बार आरक्षण लेकर किसी दूसरे का हक मारा है ? ये सर्वे क्यों नहीं हुआ की कितने लोग इतने सालो में सामान्य वर्ग में आये है ? ये नियम अभी तक क्यों नहीं बना की एक परिवार आरक्षण की सुविधा एकबार, ये इसलिए नहीं हुआ क्युकी उद्देस्य किसी को उठा कर सामान्य नागरिक बनाने का था ही नहीं, उद्देस्य था भारत के नागरिको को राजनैतिक रूप से टुकड़ो में बाँट कर वोटबैंक को सशक्त करना जो होता ही जा रहा है, भले ही देश  जर्जर हो जाये, गृहयुद्ध की आग में जल जाए लेकिन वोटबैंक  सेंधमारी  नहीं चाहिए। 

Comments

Anonymous said…
आरक्षण रुपी समस्या का अभूतपूर्व वर्णन
Anonymous said…
Aarakshan ek aisi bimari hai shrivtastav Ji Jo hamare desh ko Puri tarah se khokhla kar rahi hai jo use yogya hai usko Aarakshan nahin de rahi hai sirf vote bank ban chuki hai Aarakshan aur usi vote ka hamen bhi takat dikhane hogi aur aur Aarakshan Jaisi bimari ko hamare Desh se khatm ho karna padega tabhi bhi hamara Desh kuchh kar sakta hai dhanyvad shrivtastav Ji main aapko बहुत-बहुत dhanyvad Dunga aap Aarakshan ke khilaf bahut din se lad rahe hain main Bhagwan se yahi prathna karunga ki Bhagwan aapko is ladai mein sath Den aur ham log aapke sath ji Jaan se Lage hue hain 🙏🙏