ढोल गँवार शूद्र पशु नारी सकल ताडना के अधिकारी

 ढोल गँवार सूद्र पशु नारी । सकल ताड़ना के अधिकारी।।



गोस्वामी तुलसीदास जी की इस चौपाई में दोष निकालने वाले अवश्य पढ़ें।

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ढोल-:

काठ की खोल तामें मढ़ो जात मृत चाम। 

      रसरी सो फाँस वा में मुँदरी अरझाबत हैं।

मुँदरी अरझाय तीन गाँठ देत रसरी में।

   चतुर सुजान वा को खैंच के चढ़ाबत हैं।

खैंच के चढ़ाय मधुर थाप देत मंद मंद।

    सप्तक सो साधि-साधि सुर सो मिलाबत हैं।

याही विधि ताड़त गुनी बाजगीर ढोलन को।

     माधव सुमधुर ताल सुर सो बजाबत हैं।।


गँवार-:

मूढ़ मंदमति गुनरहित,अजसी चोर लबार। 

मिथ्यावादी दंभरत, माधव निपट गँवार।।

इन कहुँ समुझाउब कठिन,सहज सुनत नहिं कान।

जा विधि समुझैं ताहि विधि,ताड़त चतुर सुजान।।


शूद्र-:

भोजन अभक्ष खात पियत अपेय सदा।

    दुष्ट दुराचारी जे साधुन्ह सताबत हैं।

मानत नहिं मातु-पितु भगिनी अरु पुत्रवधू।

    कामरत लोभी नीच नारकी कहाबत हैं।

सोइ नर सूद्रन्ह महुँ गने जात हैं माधव।

   जिनके अस आचरन यह वेद सब बताबत हैं।

इनकहुँ सुधारिबे को सबै विधि ताड़त  चतुर।

    नाहक में मूढ़ दोष मानस को लगाबत हैं।।


पशु-:

नहिं विद्या नहिं शील गुन,नहिं तप दया न दान।

ज्ञान धर्म नहिं जासु उर,सो नर पशुवत जान।।

सींग पूँछ नख दंत दृढ़, अति अचेत पशु जान।

तिन कहुँ निज वश करन हित,ताड़त चतुर सुजान।।


नारी-:

नारि सरल चित अति सहज,अति दयालु सुकुमारि। 

निज स्वभाव बस भ्रमति हैं,माधव शुद्ध विचारि।।

माधव नारि सुसकल विधि,सेवत चतुर सुजान।

ताड़िय सेइय आपनो, जो चाहत कल्यान।।



अकबर के नव रत्नों में से एक अब्दुर्रहीम खानखाना "रहीम" ने भी कहा है:

उरग तुरंग नारी नृपति, नीच जाति हथियार।

 रहिमन इन्हें संभालिए, पलटत लगै न बार॥ 

उसे कोई नहीं बोलेगा जिसने एकदम स्पष्ट बोला की पलट कर वार करते 

अतः यह सुनिश्चित है कि यह सब ताड़ना के ही योग्य है। ताड़ना न दिए जाने पर यह उटपटांग हरकतें करने से नहीं चूकते।

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